यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

रमैनी ।। (५३) घामसौक्लेशलएवशिष्यते नान्यंयथास्थूलतुषावघातिनाम् ॥ इति भागवते ) औ नौ सूतकहे सगुना जो नवधा भक्ति है तेहिकरिकै बधिगयो औ यमकहे दुई बिद्या औ अबिद्या तेहिकारकै अंजनी जो माया ताके पूत जे जीव हैं ते सब बांधि गये ॥ १ ॥ यमकेवाहनवाँधिनिजनी । बाँधेसृष्टिकहाँलौंगनी ॥२॥ बाँधे देवतेतीस करोरी । सुमिरतबंदिलोहगैतोरी ॥३॥ | औ यम ने बिद्या आबिद्या दून मायाहैं तिनके सब जाव बाहन भये । काहेते कि उनहींको ढोवन लगे उनहींकी चाल चलन लगे औ वै जे दूनों मायाहैं ते बांधिनिजनी कहे फेरिफेरि जीवनको उत्पन्न करिकै संसार दैकै बांधि लियो औ शीशमें चढी रहती हैं से अनादि कालते बँधीजो सृष्टि ताके कहां गनी ३ तेतीसकोटि देवता बांधगये तिनको सुमिरतमात्रहीमें बंद कहे लोहेकी बेड़ी में परिके तोरी कहे मारेगये अथवा तेतीसकोटि देवता बांधिगये तिनके सुमिर तमात्रहीमें बन्दी कहे लोहेकी बेरी में परिके तोरि कहे मर गये अथवा तेतीस कोटि देवता बांधे गये तिनके सुमिरत मात्रहीबन्दीकहे लोहेकी वेरीमें परिकै तोरिकहे मारेगये अथवा तेतीसकोटि देवता बांधेगये तिनके सुमिरतमात्रमें. का बन्दि लोहेकी बेरी जीव तोरिगये ? नहीं तारिगये ॥ ३ ॥ राजासुमिरै तुरियाचढी । पंथीसुमिरि नामलेवढी ॥ ४॥ अर्थबिहीना सुमिरैनारी। परजासुमिरैपुडुमीझारी ॥५॥ | तुरीया अवस्था को नामहै तामें ज्ञानी लोग चढी कहे आरूढ ढुकै राजित होय ताहीते राजा कहै हैं ते अहंब्रह्म को सुमिरै हैं औ पंथी ने अनेकपंथ चला वन वाले ते नानामतके पंथमें आरूढहैं अपने अपने इष्टदेवनके नामलैकै साधन में बढ़हैं सोयही बिरही हैं ४ अर्थ बिहीना कहे अर्थ जो हैं दव्य ताको वैराग्य ते त्यागि बनमें बसिकै अपने इष्टदेवनको सुमेरै हैं ते औ पर जो ब्रह्म है। तामें जो जायोचाहै सारी पुहुमी सहित सुमिरैहै अर्थात् सर्वत्र ब्रह्मही देखैहै ते ये दोऊ सगुण निर्गुण उपासक नारी जो माया है ताहीको सुमिरैहैं काहेते कि जहां मन जाय है तहां लौं सब माया है ॥ ५ ॥