पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/८३

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= = बिहारीबिहार । " .. पुनः । ... . ® होइ हरित राधिका स्याम आवत समुहूँ जब। आये आये कहत चौंकि सी उठत सखी सब ॥ बिनु देखेहुँ जय कहत चौंर लै दौरत चेरी । राधा हरिसँग रँगी सुकवि अवलम्बन मेरी ॥ ४ ॥ पुनः। | स्याम हरितदुात होइ पितम्बर गहरो पीरो । अधर गुलाबी होइ कनक सो कुण्डल हीरो ॥ मोती हारहु पद्मरागछाब धारत आधा । सुकवि स्यामसँग हँगी हरहु मेरी भवबाधा ॥ ५ ॥ | पुनः ।। - होइ दिव्यदुति स्याम कलुष सब जात नसाई । हृदयग्रन्थि खुलि जात सबै संसय उड़ि जाई । पराभक्ति साकार सुकवि पूरति मनसाधा । सो राधा करि कृपा हरहु मेरी भंवबाधा ॥ ६ ॥ पुनः । |स्यामं हरितदुति होइ सखिन को हिय हरसावतं । ताही स जनु हरे कृष्ण कहि मुनिगन गावत ॥ बहुरङ्गे को रङ्ग बदलि दीनो दुति तेरी। निज । सँग सँग लै मोहु सुकबि बिनती सुनु मेरी ॥ ७॥ .. : . .. | स्याम हरितदुति होइ जासु तन झाँई पायें। हरो रहत हूँ मै हुँ जासु पद

  • पङ्कज ध्यायें ॥ रचना कछु मैं करत तिनहिँ छबि निजहिय हेरी। सुकवि स्याम

| राधिका कामना पुरवहु मेरी ॥ ८ ॥ . . : . .. ... , | ॐ जतन की झाई ( जिस राधा के अंग की.कान्ति ).स्याम परे ( कसा का प्रतिबिम्ब पड़ने से )

  • हरितदुति होइ ( हरी ) होती है ।

| " यह आशंका होती है कि अपनी ¥ाई से श्रीकृष्ण को हरा करना तो भवबाधाहरण का पो-

  • षक नहीं है फिर अंसम्बन्ध विशेषग्य क्यों ? उत्तर यह कि जिसकी आँई पड़ने से = ध्यानगोचर होने

से, स्याम इरित = पाप का हरण होता है. और दुति होइ = दिव्य देह होता है ।।... ।