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6 . ।। ' श्रीराधावराय नमः। ( अथविहारीविहार ) = == १।। 1.4 1 4 . . . . . 1 1 18.41 42 43 48.12.2.3444442 43 44 45 4. मेरी भववाधा हरो राधा नागरि सोइ । जा तन की झाँई परें स्याम हरितदुति होइ ।। १ ।। • स्याम हरितदुति होइ परत तन पीरी झाँई । राधा हू पुनि हरी होत लहि स्यामल छाँई ॥ नयन हरे लखि होत रूप अरु रङ्ग अगाधा । सुकवि जुगुल छविधाम हरहु मेरी भववाधा ॥ १ ॥
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पुन:।
होइ हरितदुति सवै स्याम जो जो कछु जग मैं । भेद कछु नहिँ रहत नील अरु
- पन्ना नग मैं । मेरो हिय आत स्याम हरो व्है है कव एरी। निजझाँई की
की भीख सुकवि दीजे यह मेरी ॥ २ ॥ | पुनः ।। होइ हरितात स्याम परत तन पीरी झाँई । होत बैंगनी परें लाल चादर
- की छाँई ।। अत कारे लहि प्रभा साँवरी सारी केरी । सुकवि सवै सँग भरी.
। हरहु भववाधा मेरी ॥ ३ ॥
- • भइरए के अनुमार व व ममझना। युगलसरुपवरुन ।
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