पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/७७

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। १ - - - - - - | " || विषय | दी हाइ। छष्टाङ्क विषय | हाङ्क | ४. विषय । दो ही इ ष्टाङ्क: | चिबुकगाड़ | ४८४ | २५४ । सुकु मारता ॥ | ५३६ } २५९ | सज्जन वर्णन ५९९ ९७४ । ४८७ | १४५ | कारने वाली ॥ ५४९ / ९६० | दुर्जन वर्णन | गोदना गी:४७ १४५ | मुगाडू ५ | ४८८ | ९४५ | गमता वाली " |.५४२ | १६ | कृपण ।। किनारी ॥ . | ४९९ | १४६ | गोरी ५ । । ५४३ । ९६० ] नीच ॥ | श्रीवा ॥ ५९२ | ९४६ विहार : थाला विक ॥ केर ॥ ४९४ | ९४६ | रतिमहिमा | ५४५/१६१ । अन्पोक्त ५ | ४७ | ९ | प्रभात ॥ | ५४८ | ९६३ । ननरस वर्णन कन्चुकी ५ । ५९२ | १४ | ३ औला ॥ ५४९ | १६२ । हास्यरस | धुकधुकी ५ | ५०३ | १४ | जलविहार ५ । | ५५९.९६३ | करुणरस | त्रिदली . " | ५०३ | १४ | वनविहार ।। ५५५ | १६४ | रोइरस ५५० | १६५ | वीररस नितम् ॥ | ५०५ | १४ | बक्रतु वर्णन ॥ भयानकरस | ६६९ ९६. । ज ञ्च । । । ५०६ | ९५० | वसन्तऋतुवर्णन | ५६५ | १६७ | बीभत्सरस | मुरवार ५ ५७ १५० | ग्रीष्मकालु ॥ | ५६० | १६ | अद्भुतरसे ६६४ | १२६ स्त्री | ५०८ | ९५१ | पावसऋतु ॥ ७९ | १६ | शान्तरस। || ५९० | १५१ | शरद ऋतु ॥ | १७७ | १९७१ | चेतावनि । || ६६८ | १८ | अनचर ॥ | ५१९ | १५२ । हेमन्त ऋतु " | ५७५ | १९७१ | वक्रोक्ति शान्तरस। ६०७ | २०३ पगअजरी " | ५९२ | १५२ | शिशिर ऋतु ॥ | ५०३ / ९७२ | नृपस्तुति वर्णन |७०२ | २०८ गति ॥ | ५१३ | २५२ । समी३ ॥ ५८६ | १९७३ | परिशिष्ट ७०९ | २११ । देह युति । 1 ५१४ । ९५२ [भागालावकअन्योक्ति नरसनुप तिव० दूर ७ि १७ २१३ = == = = = |

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