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मूर्तिपूजा---दाम ॥)
जिसको मूर्ति पूजा में कुछ भी शङ्गा हो सो इस अन्य के देखने से वञ्चित न रहे, और जिसे मूर्ति | पूजा पर श्रौरों के सन्देह सिटाने की इच्छा है वह भी इसे अवश्य हो ले और जो इसके खण्डन का घमण्ड रखता हो वह भो इसे अवश्य ही खरोदै । इसमें पण्डित अम्बिकादत्त व्यास का वह उपदेश है। जिसे सुन सैकड़ों दयानन्दो सभा अापही टूट गई और हजारों नास्तिक से आस्तिक हो गये। समखापूर्ति प्रकाश ( दत्त कवि कृत )।) रामहोरी (द के०क्व०) ॐ)
- बधसोद्धारशतक ( ग्रन्थकार के जीवन चरित्र सहित ) दाम 1)
नवसिरवर्णन ( पं० राधावल्लभ कृत ) १) रसिकरञ्जनरामायण ,, ,, १) व परिचय ( पं० रामकिशोरभट्ट छत ) !