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बिहारीसत्सई की व्याख्याओं का संक्षिप्त निरूपण । .. संस्कृत ( गद्य )

  • ( १ ) संस्कृत टीका,---इस अपूर्व टीका के रचयिता का नाम आदि से अन्त तक ग्रन्थ में कहीं

में नहीं है । टीका बहुत प्राचीन है। मुझे छपरानिवासी बाबू शिवशङ्कर सहाय द्वारा एक पुस्तक मिली

  • है । इसी जिले के सोमहुता नामक प्रसिद्ध ग्राम के रहने वाले कायस्थ बाबू गङ्गाविष्णु ने संवत् १८४४ ६

। वैशाख शुक्ल तृतीया को इस पुस्तक को लिखा था । इस ग्रन्थ के रचयिता थे बाबू गङ्गाविष्णु तो नहीं हैं। में हो सकते क्योंकि अन्त में चारही पंक्ति तो इनकी लिखी हैं और वे भी विविध अशुद्धियों से भरी हैं । । जिसने ऐसी उत्तम संस्कृत टीका बनाई है वह इतना अशुद्ध लेख नहीं लिख सकता। इस कारण ग्रंथ- । कार कोई दूसरे ही विद्वान् थे । लल्लूलाल ने अपने अन्य में लिखा है कि मैंने एक संस्कृत टीका देखी” सो यही संस्कृत टीका जान पड़ती है। । यद्यपि ललूलाल के समय में एक हरिप्रसादक्कत आर्यागुम्फ ( संवत् १८३०, में रचित ) तथा यह संस्कृत टीका (संवत् १८४४ की लिखित) ये दोनों ही ग्रन्थ विद्यमान ध, ( क्योंकि संवत् १८७५ में लब्लू लाल ने निज लालचन्ट्रिका बनाई थी ) तथापि हरिप्रसाद टीका कुछ दुर्लभ घी और यदि कथमपि वह मिली भी हो तो लहूलाल संस्कृत के ऐसे पण्डित न थे कि उसे पढ़ कुछ भी समझ सकते और यह संस्कृत टीका अत्यन्त सरल है और इसमें प्रत्येक दोहे के अलङ्कार, नायिका, उक्ति आदि स्पष्ट रीति से कहे हैं। इसमें सरल दोहों पर केवल अलङ्कारादि ही कह दिये हैं टीका कुछ भी नहीं है। इस कारण यही विशेष सम्भव है कि ललूलाल ने इसी टीका से खरचना में सहायता ली हो । । | ( पद्य ) .. (१) अर्यागुम्फ,--यह आर्याओं में संस्कृत में बिहारीसंत्सई का अनुवाद है। यह ग्रंथ बड़े परि भु यम से मुझे मेरे काका पण्डित राधावल्लभ जी के द्वारा मिला है * । इस ग्रन्य के रचयिता, काशिराज । यीचेतसिंह महाराज के प्रधान कवि, पण्डित हरिप्रसाद घे । दुनने इस ग्रन्य को संवत् १८६० में पूर्ण किया। इनने स्वयं ग्रन्यन्ति में लिखा है कि;--

    • श्रीचैतसिंहवचनाकार भापानुसारिसुखवचॅनः ।।

अर्याभिरेष गुम्फो मुनिगुणवसुचन्द्रमितवर्षे ॥”

  • पण्डित राधावल्लभ जी डुमरांव में विद्यमान हैं। महाराज के यहा से इनकी भूमि जीविकादि

में है। इनका रञ्चित नगसिप मैंने प्रकाशित किया है उसमें इनका जीवनचरित भी दिया है । इनके

  • रचित रमिकरञ्जनरामाय, विजयोत्सव, आदि अनेक ग्रन्य हैं ।

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