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४२१ ३१० शब्द । दोहाङ | अर्थ । । शब्द । ] दोहाङ अर्थ । छनदा रात | | नै । नदी, झुक कर छाक ૨૭ नशा। ६५५ छिगुनी | छोटी अँगुरी । कनिष्ठिका जवासो जवासा ( एक छः ) | प्रफुला ५४४ | पुष्यविशेष (पाकर का फूल) जातरूप । । ५३५ सोना | परेवा पारावत जामुन जोरग, जिससे दही जमा पायक ४६६ | पदग, सिपाही या जाता है। पार पाढ, किनारा । जगन ३८५ ज्योतिरिङ्गण, जुगनू । प्रतिज्ञा जोयसी ६५३ ज्यौतिषौ बतरंस बात का रस | जौव बनतन कों बन की भोर , झालरति २६३ फूलती है। बसीठ दूत सनेसा । डाढ़ी ४१७ बान हाथी बहाऊ. बहकनी ठूका कान लगाना विय ढोरी बान, आदत १३ । इय दी . वैज ज्यौ ५९ डौंडी १ ६६ डुगडुगौ दूहे ३४३ ३३७ ६८e कोप विश्वसनीय, विदारत तरेस,तरोस तखोना त्योनार तरको | अटके घुरहथौ दमामी ६ ५८८ दुराज ६५६ विससिये ६-६ तट विहरत बौधे ६४१ १२३ रीति, प्रकार ६५१ छोटे हाथ वाली भगारा कृषादित ६०५ दो राजा का राज्य वह तीर जो पार होजाय वै ५४६ | खौकार, डर ब्यौरति । मेघ ३२ ४ | वह तीर जी गड़ के भीतर | भेटभेरो { ही रह जाय .. भीडर नहीं तो . मतौर । Th ॥ दुसार धरक धुरवा नटसुल ८ | इन्द्रगोय .. ६०१ | जेठ ( धादित्य ) जिस में काष पर सूर्य रहें । | , उमिर ४६५ | सँवारती है, सुलझाती है, | विरवालती है। । भेट . |. ११८ - . अबरख

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.. - । . . | विं भटभेरी.] २२१ नतरक नांदि ६°३}} . तरबूज । kl चिहुंकि, विकसि ४३३ । ३ नाहर | ६५८ | । सिंह | मरगजे | ३३३ | संवास । । ४८० | मलौने । अड़ा, डेरा - - - -