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बिहारी बिहार ।

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बिहारीविहार ।। रहे न काहू काम के सँत न कोऊ लेत ।। बाजूटूटे चाज क साहब चारा देत ।। १० ।। तीन बार लाला तुम्हें पठेदई अलिहाथ । चोरी प्रेमसुगन्ध की उघरि गई तिहिँ हाथ ।। ११ ॥ फूल आगि दै गोद लै पतरी दै घर आव । लाल कही बारी नहीं करनफूल पहिराव ॥ १२ ॥ । गायन ये गायन बड़े लेकर बैठी बीन ।.. ये गाहक कर बीन के राग राग नबीन ॥ १३ ॥ बिनग फुही लपटे छटा घटाघूम बिस्तार । । पावसरितु प्रानेस बिनु होत सकार ककार ॥ १४ ॥ गुंजत अंगुलि दै दसन लखि कंजन सकुचाय । मूदति पतिदृग दाहिने रति बिपरीत लेखाय ।। १५ ॥