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बिहारी बिहार ।

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= = == = = = विहारीविहार ।। २१६ । गति मति दे हेत दै रस ६ जस दै दान ।। तन दै मन दे सीस दें नेह न दीजै जान ।। ७३८ ।। नेह न दीजे जान जान दीजें वरु छन मैं । कैसेहु परें कलेस विकार न कीजे मन में ।। लगी लगन सो लगी न छॉड़िय वरु निज पति ६ । सुकवि 4 राखिये प्रीति रीति ६ गत ६ मति दे ॥ ८६२ ॥ चलित ललित समसदकन कलित अरुन मुख ऐन । | वनविहार थाकी तरुनि खरे थकाये नैन, ७३९ ॥ खरे थकाये नैन अलक जुग छिपी कपोलन। कुच जुग कछु थररात कहत पुनि रुकि रुकि वोलन ।। गिरत चसन कर धरत होत तेहिं लखत मत्त श्रम। सुकवि हाय हहराइ हरत तिय चलित ललित स्रम ॥ ८६३ ॥ | विनु बरजें घों का कहै वरज्यो कार्पे जाई ।। जो जिय में ठाढो रहै तास कहा बसाइ ।। ७४० ॥ तास कहा बसाइ चसे जो हिय नैननि मैं । जाकी चरचा वात वात विच * विच बैननि में ॥ जाके गीतन के अलम्ब सों कटत रैन दिनु । सुकवि रहे। जो जिय में जिय नहिं रहे जासु विनु ॥ ८६४ ।। मेहि करत कत बावरी नागरनेह दुरै न । कहे देत चित चीकने नेहचीकने नैन । ७४१ ॥ र ४१ दिन घर भेट में ११ भंया पर धानुका है। सपत बड़े फुलत सकुच सत्र सुख केलि निवास । अपत केर फुलत अतन मन मे मानि हुलास ।। ७४२ ॥ | ई साधार है)।