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बिहारी बिहार ।

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विहारीविहार । में स्तिक अरु दृग श्रुति लंबनटाने । कानन राहि लुटत लुण्ठक अरु कुण्डल | जनतति । छनक अहे जोवन रु सुकवि सपने की सम्पति ।। ६६६ ॥ --


-- - - -- - - - कैसे छोटे नरनि तें सरत चड़नि के काम। मढ्या दमामा* जात क्यों ले चूहे के चाम ॥५९९॥ ले चूहे के चाम दमामा मढ्या न जे है। खरहर जात कि खत हर नाहिं चहे है । चरा चिखुरी के दॉतन वनिहे नहिँ तसे। सुकाचे वड़ के काम सेरें । । छोटे ते केसं ॥ ७०० ॥ आछे बड़े न है सकै लागि सतरौहँ वैन । दीरघ होंहि न नैक टू फारि निहार नेन । ६०० ॥ फारि निहारे नन और भयदायक हूँ हैं । घोंचे ते नहिं कस बढ़े औरो । । दुटि जे हैं । खरी लगाय गोरे अंग है हैं कह छाछ । सुकवि चलाकी जोर । बड़े हैं हैं नहिं अछि । ७०१ ।।

स +- प्यासे दुपहर जेठ के थके सवे जल सोधि । मरुधर पाये मतीर हू मारू कहत पयोधे ।। ६०१ ॥ कहत पयोधि मतीर हु को जान सुग्ध पेयते । होतल सीतल होत विषम ग्रामदुग्वजयत ।। पायेा सुकवि अहार नाहिं तो परत उपाल । धनि मतीर के नार जियाये जिन इन प्यासे ।। ७०२ ।। -- -

  • ० एस :- *ट १r पर फो नगरि । (नानचन्द्रिका } ! गैर मियों के हाथ में पहरने का चुहा से । * 3: 5: द रिका टोका में नहीं है। जंठ के टुपहर * ध्यासे ( पयिक ) कार्यत्र जन्न । के त ? ६३ अरमन में' । अतोर } तरज़ पाई भी मर 3 मारवारियों में में हैं पयोधि ] । । र ¥ ९३६ : म में प्रदान नहीं है। दो रिम का में भी हैं ।