, विहीरीचरित्र । .. .। से थीं । इनके पिता का नाम केशव ( कविप्रिया वाले केशव ॐ नहीं ) और पितामह का नाम राय था । इनके घराने का पूर्वनिवास तो मैनपुरी था परन्तु ऐसा प्रसिद्ध है कि इनका जन्म ग्वालियर में । हुअा था । । । इनके पिता बहुत दिनों तक बुन्देलखण्ड में रहे थे अत एव इन लोगों की बोल चाल में कुछ २ बुदे-
- स्वखण्ड़ी भाषा घुस गई थी। इसी लिये बिहारी की कविता में भी बहुत से बुंदेलखण्डो शव्द गये हैं,
। जैसे, स्यौ, ज्यौ, यी, प्यौसर, व्यौरति, लखिवी, देखिवी, इत्यादि ( ये शब्द क्रमशः दोहा ४००, ४००, ३ ३५, ३५, ६, ६१८, ६८८ में हैं ) । सुना है कि इनका विवाह मथुरा में हुआ था। इनके श्वशुर मथुरा में रहते थे । विहारी चौबे भी मथुरा में इसी महल्ले में आ रहे । इतने किसके समीप अध्ययन किया सो
- स्पष्ट विदित नहीं होता परन्तु इनने साहित्य में अच्छी योग्यता प्राप्त की और ऐसा जान पड़ता है।
- कि उर्दू फार्मी में भी इनने परियम किया था क्यों कि इनकी कविता में कहीं ३ उर्दू फार्सी के गहरे
को शब्द र जाते हैं जैसे;--‘इमाम दो० १८३ ‘‘ताफता” दो० १० ‘‘कजाकी दो० ४६३ जुराफा दो मथुराप्रसाद चौवे के पिता का नाम मुचुकुन्दराये था इसी से स्पष्ट विदित होता है कि चौधे भी रायपदाति हो सकते हैं और 'भैरे' हरो कलेस सब के सर्च केसवराय' इस दोहे में राय पद ऐसा
- झगड़ान नहीं है ।।
| ऐतिहासिक लोग देखें इस लेख से कोई बात काम की निकल सक्ती है ?
- कविप्रिया वाले केशवदास तो सनाच्य ६ मित्र थे और टेहरी के रहनेवाले थे । और ये तो
माधुर चव थे ( ककौर ) सोती घे भर मैनपुरी के रहनेवाले थे । 4 लोग कहते हैं केशव कुछ दिन बुन्देलखंड में रह कर ग्वालियर आए थे वहां बिहारी का जनम हुअा और फिर बिहारी अपने ससुरार मथुरा में रहते है यह इस दोहे से विदित होता है "जन्म ग्वालि-
- यर जानिये वड़ बुन्देने वाल। तरुनाई आई सुभग मयुरावसि ससुराल” ॥ इस दोहे को मेरी समझ में
पहले राज(विप्रमाद ने निरडा, फिर भारतेन्दु पत्र में श्रीराधाचर गोस्वामी ने लिखा, अनन्तर ३ ॥ राक्तदास श्रेयर्सनसहिद र पण्डित प्रभुदयाल तथा मैंने लिखा । परन्तु यह कहां का और किम - प्रकरण का दोहा है कदाचित् किसी को भी विदित न हुआ ॥ दोहे में बिहारी का नाम भी नहीं है। दरगोम्दामी जी ने निज ले रडु में भारतेन्दु में टिप्पणो में इस टोहे की ये लिया है।
- :श्रीि कपि, मजभाषा को ममुरा ३ मयुरापुरो के वासी थे ।” धूम पर टिप्पणी ( ० कि कवि
4 में कहा है। उनम ग्वालियर जानिये ए युटेने वाले । तरुनाई अाई सुभग मयुरा चमि सरन } । एक प्रश्रय में हमें तो गोसामीजी का तात्पर्ययगोचर अर्थ यह झलकता है कि---जभाषा का जन्म के ग्वालियर का है. भाभापा बुन्देन में बालिका में श्रीर बलभाषा का ससुराल थीमयुर हैं यहां इन है। इन ४टका ।
- ३ १ १ १ १ ४६ }