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विहारविहार । १२७

  • नित संसौ सौ बचतु मानौं इहिँ अनुमान ।।

| विरहअगिनलपट न सकें झपट न मीच हिचान ।। ४२५ ॥ झपट न मीच हिचानसकै विरहागिन लपटन। दूर हि स दरकाई रह्यो हिय छन छन डपटन ॥ अति सँतापविष पिये भई मृत्युजय लख तित ।

  • चिरजीवी यह सुकवि जऊ कलपात है नित नित ।। ५०६॥ ।

| पलनि प्रगट बरुनीनि बढि छन कपोल ठहराय । अॅस परि छतिया छनक छनछनाय छिप जाय ॥ ४२६।। छनछनाय छिपजाये दाग काजर को छोरत । तैसे हिँ पुनि पुनि उसँग परै जनु जय मरोरत में कारे परे कपोल नैन काँ रहति न कछु कल । तलफि रही है तीय सुकावि नहिं परत पलक पल ॥ ५१० ॥ प्रगट्यौ आग वियोग की वह्यौ विलोचन नीर ।। आठौं जाम हिय रहै उड्यौ उसाससमीर ॥ ४२७. ।।।। | उड्या उसाससमीर रहे धर धर पुनि धरकत । पीरे परे कपोल सीस छन । छन में भरकत । दीह दूवरी देह चित्त चंचल जनु उचट्यो । सखि गई तऊ सुकवि नेह अँग अङ्गनि प्रगट्यो । ५११ ।। | तिच्यो आँच अव विरह की रह्यो प्रेमरस भीज।। नैननि के मग जल व हियो पसीज पसीज ।। ४२८ ।। हिया पसीज पसीज हाय दृगद्वार बहत हैं । काजर नहिँ जरि गये अ- धिक रँग स्याम गहन हैं। सुकवि वृंद मिस ट्रक दृक व्हें निकरि चल्येा सव ।।

  • हाच याहि में पातम में यह तच्या अाँच अव ।। ५१२ ।।

• * * * * निद ने में संक्रय रहता है। इंम और 1 : यर ट्रोजा र सशर्ती में # । २३: । :: ह द न । अदद अन गया है इन लिये कार हो गया है !