पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/९५

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बिहारी-रत्नाकर

५२ बिहारी-रलाकर तेहतरे त्यौ करि कत करियत दृग लोल । लीक नहीं यह पीक की श्रुतिमनि-झलक कपोल ॥ ११३ ॥ ते-रोष ॥ त=तर्जनयुत हुए ॥ त्यौरु ( त्रिकूट )= तेवर ॥ श्रुतिमनि= कान में पहनने की मणि ॥ ( अवतरण )—प्रातःकाल नायक नायिका के यहाँ आया है । उसके कपोलाँ पर पीक की लीक खगी हुई है, जिसे देख कर नायिका रोप करती है । सखी बही चातुरी से, उसका रोप मिटाने के निमित्त, यह दोहा पढ़ती है। इसी एक दोहे से उधर तो वह नापक को चैतन्य करती है कि उसके कपोल पर पीक की लीक लगी हुई है, जिसमें वह उसे किसी ब्याज से पाँछ डाले, और इधर नायिका से कहती है कि यह पान की पीक की लाली नहीं है, प्रत्युत कान की लाल मणि की आभा है ( अर्थ )[हे सखी, ] रोष से तरजता हुआ तेवर दर के आँखें क्यों लोल ( चंचल ) की जाती हैं । [नायक के] कपोल पर यह [जो लाली दिखाई देती है, वह ] पीक की लीक नहीं है, [ प्रत्युत ] कान की [ लाल ] मणि की झलक ( आभा ) है [अतः रोष करने का कोई कारण नहीं है ]। नै के न जानी परति, या पौ बिरह त छात्रु । उठति दिशें ल नाँदि , हरि, लिथू तिहा नामु ॥ ११४ ॥ छातु ( धाम ) = क्ष।ण ॥ नाँदि जब दिए में तेल इत्यादि कम हो जाता है, और वह बुझने को होता है, तो पहिले दो-एक बार भभक कर बल उठता है । इसको दिए का नाँदना कहते हैं । ( अवतरण ) सखी अथवा दूत नायक से नायिका का विरह निवेदित करती है ( अर्थ ) विरह से [ उसका ] तन ऐसा क्षीण पड़ गया है [ कि वह ]नैक ( किंचि मात्र )[ भी ] जान नहीं पड़ती (देखने में नहीं आती ) [ किंतु ]हे हरि ! तुम्हारा नाम लेने से [ वह ] दिए की भाँति नाँद उठती है । कभी कभी, तेल इस्यादि रहने पर भी, दिए की लौ मंद पड़ने लगती है । उस समय लोग कहते हैं कि दीपक किसी पाहुने का आागमन सूचित करता है, और यदि वे दो-चार ऐसे मनुष्य के नाम लेते हैं, जिनके आने की संभावना होती है, तो उस क्याक्ति का नाम लेने परजो कि आने वाला होता है, दीपक भभक कर यल उठता है । इसको भी नदभा कहते हैं । जब मनुष्य मरने लगता है, तो बहुधा मरने के पूर्व एका एक कुछ चैतन्य हो जाता है। इसको मरते समय का सँभाला कहते हैं। सखी दीपक का नाँदना कह कर सँभाले का ध्यान दिलाती है । -8 ----- नभलाली चाली निसाचटकाली मुनि कीन । रति पाली, आलीअनत, आए बनमाली न ॥ ११५ ॥ चाली= चाल डाली अर्थात् रात्रि के अंधकार को छिद्रमय कर दिया ॥ चटकाली ( चटकआलि ) गौरैयों की पंक्ति ॥ १ तरेपो (५ )। २. नैन (२ )। ३. घति (४ )।४. दिया (४ )।