पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३६९

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सालति है। सायक-सम सामाँ सेन साजे मोहन सही रँगीले सहित सनेह सहज सेतु सहज सचिक्कन सरस सुमिल सरस कुसुम समै समै समै-पलट सबै हँसत सबै सुहाएई समरस-समर-सकोच सब हर त्यौं सब अँग करि सनु सूक्यौ सनिकज्जल सदन सदन के सतर भौंह सटपटात सघन कुंज, घन सधनकुंज-छाया सखि, सोहति दोहों की अकारादि सूची १३५

  • * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * = * * * * * * * * ई
  • * * * * * मानसिंह की टीका * * * * * * | विहारी-रत्नाकर

१३५ | ६ | ६ | २१५ । १२२ ! १८१ | ५५ | ५५ | २०४ : ५३ | ४५६ ५४० | ५१० ३३६ : ३०६, १६५ १०६ | १०८ ४०८ ४५६ ६८ ५५ ३०१ । ६६६ ६८ ! ६८१ १५३ ३१२ | ३१२ । ३ ३८६ | ५ ४११ बिहारी-रत्नाकर कृष्ण कवि की टीका

  • * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * | हरिप्रकाश-टीका
  • * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * na | लाल-चंद्रका * * ० * ६ * * * * * * * * * * * * * * * * * * * | शृंगार-सप्तशती

० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ३ ० ० ० ० ० | ० ० ० ० ० ० रस-कौमुदी = = = =