पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३४४

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उपस्करण दोहों की अकारादि सूची टीका

  • * * मानसिंह की टीका
  • * | बिहारी-रत्नाकर * * * | कारण कवि की
  • * | हरिप्रकाश-टीका
  • * | लाल-चंद्रिका १ • * | श्रृंगार-सप्तशती

० ० ० | रस-कौमुदी । उर मानिक की उरलाने अति उरु उरुझ्यौ [ ऊ ] ऊंचे धित ७५ ३७४ ६६ । ६१३ ०

  • * * * ६
  • * * *

६ ०

  • * * *
  • * * * ६

० ० एरी, ३ तेरी । [ ] ] पेंचति सी चितवन . [ ओ ! ओछे वड़े न ओठ चै, हाँसी-भरी [ श्री ! आधाई सीसी और सबै हर पी श्रीरे-अप औरै गति, अरे वचन औरै भाँति [क] कंचनतन-धन-वरन कंज-नयनि मंजनु कत कहियत कत वेकाज कत लपटैयतु कत सकुचत

  • * * * * * * *

  • * * ० * * * ॐ ६ ६ *

० ० ० १५ ४.५ ४:५२ । ३५६३५६७६ १४६ ५२२ ० ० ० ५२०५२, ३५१ ४०७ | ४४६ । १४६ ३७१ ३६७ १६८ ४६६ ! ४६६।३५० ४११ । १६२ | १८७ | २८६ | २८६ ३७४ ४०३ : १६० | १०५ ० *