पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/२२

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प्रायः ३२-३३ वर्ष हुए हमने महाकवि श्री बिहारीदास जी की सतसई का विधिवत् अध्ययन किया था। उस समय हमारे पास उक्त ग्रंथ की ५ टीकाएँ थीं - ( १ ) नवलकिशोरप्रेस की छपी हुई कृष्ण कवि की कबित्तों वाली टीका, (२) भारतजीवल प्रेस की छपी हुई हरि-प्रकाश टीका, (३) लल्लूलालजी-कृत तथा उन्हीं की छपाई हुई लालचंद्रिका टीका, (४) विद्योदय-प्रेस की छपी हुई पं० परमानंदजी-कृत श्रृंगार-सप्तशती नाम की संस्कृतटीका तथा (५) सरदार कवि की टीका (हस्तलिखित )। इन पुस्तकों में किए गए अर्थों का मिलान करने पर कितने ही दोहों के अर्थो में मत-भेद पाया गया, और अनेक दोहों के विषय में यह भी भावना हुई कि उनके यथार्थ अर्थों का बोध उनमें से किसी टीका से भी नहीं हो सकता। उक्त पुस्तकों में दोहों के पूर्वापर क्रम, संख्या तथा कहीं कहीं पाठों में भी भेद मिला, और शब्दों के रूपों तथा लेखन-प्रणाली में तो बहुत बड़ा अंतर पाया गया । एक ही पुस्तक में कोई शब्द अथवा कारक एक दोहे में एक प्रकार से और दूसरे में दूसरे प्रकार से लिखा दिखाई दिया । इन्हीं बातों के कारण एवं बिहारी की कोमलकांत पदावली और प्रशस्त प्रतिभा से प्रभावित होकर हमारा विचार हुआ कि सतसई का एक ऐसा संस्करण प्रकाशित किया जाय, जिसमें यथासंभव दोहों का पाठ शुद्ध हो, और उस पर एक ऐसी टीका भी लिखी जाय, जिससे दोहों के यथार्थ भावार्थ पाठकों की समझ में सहज ही आ सकें । सन् १८६६ ईसवी में लालचंद्रिका का जो संस्करण सर जॉर्ज ग्रियर्सन साहब ने प्रकाशित किया, उसमें कई स्थानों पर अपना नाम देख कर हमारा उत्साह और भी बढ़ा, और सन् १८६७ ई० में हमने उक्त विचार से सतसई के दोहों के भावार्थो की सामान्य टिप्पणियाँ भी, छपी हुई हरिप्रकाश टीका की एक प्रति के पाश्र्व भाग में, लिख डाली। इस टीका का नाम 'विहारीरत्नाकर' रखने का विचार था । उसे देखकर हमारे मित्र स्वर्गीय साहित्याचार्य श्रीयुत पं० अंबिकादत्त व्यास जी ने, अपने ‘विहारी-बिहार' नामक ग्रंथ की भूमिका के ३८वें पृष्ठ पर, यह लिखा था| "बिहारी-रत्नाकर-यह टीका थोड़े ही दिन हुए कि बन के प्रस्तुत हुई है, और शीघ्र ही छपने वाली है। टीका बहुत ही छोटी है परंतु लगभग पचीस दोहों के अर्थ बहुत ही अपूर्व हैं, और दोहों के पाठ जहाँ तक हो सका बहुत ही शुद्ध किए गए हैं। इसके ग्रंथकार इस समय के काशी के प्रसिद्ध मधुर कवि हैं। इनका वास्तविक नाम बाबू जगन्नाथदास है। ये इस समय लगभग पचीस वर्ष के होंगे । अंग्रेज़ी में इनने बी० ए० पास किया है और उर्दू,