पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/१५

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बिहारी-रत्नाकर ( ११ ) बेनीप्रबीन (१०८.) द्विजदेव ( १०० ) जसवंतसिंह ( १०१ ) लेखराज ( १०१ ) पद्माकर ( ११० ) प्रतापनारायण ( १०२ ) ग्वाल ( १११ ) महाराज रघुराजासंह ( १०३ ) चंद्रशेखर ( ११२ ) द्विजराज ( १०४ ) प्रतापसिंह ( ११३ ) ब्रजराज ( १०५ ) दीनदयालु मिश्र ( ११५ ) हनुमान ( १०६ ) सेवक ( ११५ ) ललिताप्रसाद त्रिवेदी ( १०७ ) हरिश्चंद्र ( ११६ ) पूर्ण संपादन-कार्य में हमें जिन विद्वान् सज्जनों से सहायता मिलने की आशा है, उनमें से कुछ लोगों के नाम ये हैं( १ ) पं० महावीरप्रसाद द्विवेदी ( १४ ) पं० कृष्णविहारी मिश्र (२) बाबू जगन्नाथदास "रत्नाकर ( १५ ) पं० लोचनप्रसाद पांडेय ( ३ ) पं० श्रीधर पाठक ( १६ ) बाबू मैथिलीशरण गुप्त ( ४ ) पं० नाथूराम-शंकर शर्मा ( १७ ) पं० रूपनारायण पांडेय ( ५ ) बाबू श्यामसुंदरदास ( १८ ) पं० गयाप्रसाद शुक्ल “सनेही ( ६ ) पं० किशोरीलाल गोस्वामी ( १९ ) पं० रामनरेश त्रिपाठी ( ७ ) श्रीमान् मिश्र-बंधु . ( २० ) श्रीमान् याज्ञिक-त्रय ( ८ ) पं० पद्मसिंह शर्मा ( २१ ) पं० शिवाधार पांडेय ( १ ) पं० अयोध्यासिंह उपाध्याय ( २२ ) पं० बदरीनाथ भट्ट ( १० ) पं० जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी ( २३ ) श्रीयुत धीरेंद्र वर्मा ( ११ ) पं० रामचंद्र शुक्ल ( २४ ) श्रीयुत वियोगी हरि ( १२ ) पं० शालग्राम शास्त्री ( २५ ) ठाकुर लक्ष्मणसिंह ( १३ ) पं० आयादत्त जी ( २६ ) पं० हर्षदेव ओली माला को सफल बनाने में हम अपनी ओर से कोई कोर-कसर ने रक्खेंगे; परंतु प्रेमी पाठकों से भी प्रार्थना है कि यदि वे मातृभाषा-मंदिर के दिव्य दीपकों की उज्ज्वल आभा से अपनी आँखों की परितृप्ति चाहते हैं, तो अविलंब हमारा करावलंब करें, जिसमें हम शीघ्र ही भगवती भारती को सुकवि-माधुरी-माला पहनाने में कृतकार्य हों ।। इस माला के लिये कई कृतविय अवियों की कृतियों को सुचारु रूप से संपादन हो चुका