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बिहारी-रत्नाकर

(९९) बेनीप्रबीन
(१००) जसवंतसिंह
(१०१) पद्माकर
(१०२) ग्वाल
(१०३) चंद्रशेखर
(१०४) प्रतापसिंह
(१०५) दीनदयालु मिश्र
(१०६) सेवक
(१०७) हरिश्चंद्र

(१०८) द्विजदेव
(१०९) लेखराज
(११०) प्रतापनारायण
(१११) महाराज रघुराजसिंह
(११२) द्विजराज
(११३) ब्रजराज
(११४) हनुमान
(११५) ललिताप्रसाद त्रिवेदी
(११६) पूर्ण

संपादन-कार्य में हमें जिन विद्वान् सज्जनों से सहायता मिलने की आशा है, उनमें से कुछ लोगों के नाम ये हैं—

(१) पं॰ महावीरप्रसाद द्विवेदी
(२) बाबू जगन्नाथदास "रत्नाकर"
(३) पं॰ श्रीधर पाठक
(४) पं॰ नाथूराम-शंकर शर्मा
(५) बाबू श्यामसुंदरदास
(६) पं॰ किशोरीलाल गोस्वामी
(७) श्रीमान् मिश्र-बंधु
(८) पं॰ पद्मसिंह शर्मा
(९) पं॰ अयोध्यासिंह उपाध्याय
(१०) पं॰ जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी
(११) पं॰ रामचंद्र शुक्ल
(१२) पं॰ शालग्राम शास्त्री
(१३) पं॰ आयादत्त जी

(१४) पं॰ कृष्णविहारी मिश्र
(१५) पं॰ लोचनप्रसाद पांडेय
(१६) बाबू मैथिलीशरण गुप्त
(१७) पं॰ रूपनारायण पांडेय
(१८) पं॰ गयाप्रसाद शुक्ल "सनेही"
(१९) पं॰ रामनरेश त्रिपाठी
(२०) श्रीमान् याज्ञिक-त्रय
(२१) पं॰ शिवाधार पांडेय
(२२) पं॰ बदरीनाथ भट्ट
(२३) श्रीयुत धीरेंद्र वर्मा
(२४) श्रीयुत वियोगी हरि
(२५) ठाकुर लक्ष्मणसिंह
(२६) पं॰ हर्षदेव ओली

माला को सफल बनाने में हम अपनी ओर से कोई कोर-कसर न रक्खेंगे; परंतु प्रेमी पाठकों से भी प्रार्थना है कि यदि वे मातृभाषा-मंदिर के दिव्य दीपकों की उज्ज्वल आभा से अपनी आँखों की परितृप्ति चाहते हैं, तो अविलंब हमारा करावलंब करें, जिसमें हम शीघ्र ही भगवती भारती को सुकवि-माधुरी-माला पहनाने में कृतकार्य हों।

इस माला के लिये कई कृतविय अवियों की कृतियों को सुचारु रूप से संपादन हो चुका