माला की पुस्तकें भी वेष-भूषा में उसी प्रकार की होंगी। हाँ, यह सूचित कर देना ज़रूरी है कि इस माला की पुस्तकें भी आवश्यकतानुसार चार चित्रों से सुसज्जित की जायँगी।
संपादन तथा प्रकाशन-क्रम में सबसे ज़्यादा ख़याल काव्योत्कर्ष का रक्खा जायगा, अर्थात् उच्च कोटि के कवियों के ग्रंथ पहले और उनसे नीची श्रेणी के कवियों के ग्रंथ बाद को छापे जायँगे। साथ ही इस बात का भी ध्यान रहेगा कि सबसे पहले उन ग्रंथों में हाथ लगाया जाय, जो अभी तक कहीं भी नहीं छपे; उसके बाद उन ग्रंथों में, जिन्हें मुद्रण-सौभाग्य तो प्राप्त हुआ है, किंतु जिनका संपादन बिलकुल ही नहीं अथवा सम्यक् प्रकार से नहीं हुआ। स्थूल रूप से यही हमारा क्रम रहेगा; किंतु विशेष कारणों से इस क्रम में परिवर्तन भी हो सकेगा। इस माला में जिन प्रधान कवियों के ग्रंथ निकालने का निश्चय किया गया है, उनके नाम नीचे दिए जाते हैं—
(१) चंद
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(२१) रसखान
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