पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/९२

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६४ विरहबारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। (अथ आभूषण शृंगार) दंडक । अंगराग भूषण बिबिध मुखबास राग केश पास मंजन यों अंजन सरसकी । अमल सुबास लोललोचन चितौन चारु हँसन लसन पाँवजावक सरसकी॥ गवन कराल बाणी को- किला प्रवीन अति पूरन सनेह चाह प्यारे के दरसकी । सोरहो श्रृंगार साजै सहित विलासराजे कंदला अखाड़े बीच बारह बरसकी। दो. चोली सारी घाँघरो तरकस भयसब देखि । तरकस सत्त मनोजको कामकंदलालेखि ॥ अथसुवर्ण भूषण वर्णन । बेनी शीश फूल बीज बेनीया मा- शिर भौंर बेसर तरौना केशपास अंधियारीसी । कंठी कंठमाला भूषधी वरा बाजूबन्द ककना पटेला चूरी रतन चौकजारीसी ॥ चोटी बंद डोरी क्षुद्रघंटिका नई निहार बिछिया अनौटा बांक सु. खमाकी बारीसी । राजा कामसैन के अखाड़े कंदलाकोपाय माधो चकचोंधि रह्यो चाहिकै दिवारीसी॥ दो० फूलहार तियहिय परसि चलत बयार सुबेश । विरह ज्वाल तन विप्रके जाहिर होत कलेश ।। अथवाणी वर्णन । तूतिया मुनैया सुग्रासारि का कपोत हंस कोकिला मयूर अलि अवली बखानी है । चक्रवाक खंजन पपीहा मैना चांडुल दहिये दरेवा खब खमरी चिकानी है ॥बोधा कवि स्वरन तँबूरा हूको ठहरात जल उतरंग मुहचंग वाकुहानी है। ढोलकी गुमक बीण बाँसुरी सितार वार कंदला तियाकी ऐसी अति मृदुबानी है। अथजल्दता वर्णन । भौंर यो भवन के तीरनमें नक्नकेती चंगमें छुवनकेती काहूने निहारी है । फिरकिनी फिरनके तीछे रनी गिरनकेती मोरमें थिरनकेती किन्नरी कुमारी है ॥ बोधा कवि बाजी यों कमान में मुरनकेती लक्कामें लगन कौन उपमा