पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/५

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मञ्छितहो भूमिपर गिर पड़ी जब वह सचेत हुई तब माधवानल को भी उसी अवस्थामें (मूञ्छित) देखा यह चरित्र देख लीला वती को सहेलियां उसे समझा बुझा घरलाई परन्तु वह ऐसीका मवश्य होगई थी कि अपनी सहेली सुमुखीको भेज माधवान- लको बुलाया और दोनों में परस्पर संभाग हुआ पश्चातमाध वानल बहुकठिनाईसे उसे संतोषदे घराया और प्रतिदिन बी- ण बजाया करताथा जिसको सुननगरकी सबनारियां अति विकलहो अपना सबकृत्य छोड़ उसका बीण सुनने को धावती थींनगर के निवासियों ने यह दशादेख राजाके पास जा प्रार्थ ना की कि माधवानलके कारण नगरकी यह अवस्थाहै राजा ने पुरवासियोंके बचनों को सुन माधवानल को बुलवाया और उसके गुण की परीक्षाले उसको प्रसन्नतापूर्वक विदा किया और मनमें विचारा कि ऐसे गुणीजनको जो में देशसे निकाले दे. ताहूं तो लोग मेरे न्यायपर हँसेंगे और जो इसे रहने देताहूंतो प्रजा बाराबाट हुईजातीहै पश्चात् राजाने अपनी प्रजाका हित विचार दूतके प्रति माधवानल से कहला भेजा कि हमाराराज छोड़ जानो यह संदेशा सुन माधवानल एक तो लीलावतीके बिरहमें व्याकुल थाही और दूसरे नृपकी यह आज्ञा पाय निरा- शहो देश भी छोड़ादिया और बाँधोगढ़ की राहली और वहां जाय एकवागमें बटवृक्ष के नीचे विश्राम किया जिस वृक्ष पर एक सुश्रा रहताथा जो कि बड़ा प्रश्ल था वह सुप्रा विरह व्यथा की बातें माधवानल की सुन उपदेश दियाकरताथा और उसके चित्तकी वृत्ति को रोकता था इसीप्रकार उसवृक्ष के नीचेचातुर्मास व्यतीतभयेतिसकेपश्चात्माधवनलनेकामावतीनगरीकीराहली औरसुनानेभीअपनाघरत्यागमाधवानलका संगधरलिया उसन- गरमें जाय एकतमोलीकोअपने सदृश देख वहां ठहरनेकाविचार किया जिसने बड़े प्रादर सत्कार पूर्वक उसको स्थान दिया और कुछकालपश्चात् ऐसा संयोग हुआ कि एकदिन माधवानलनेय-