पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/२९

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(बिरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा) प्रथमखण्डपूर्वा भाग ॥ (प्रथमतरंग) दो । दिरद बदन मंगल सदन बिघ्न हरण शिरताज। कृपा करण औ बुधिकरण नमोनमो गणराज ॥ छप्पय । तिलक भाल बनमाल अधिक राजत रसाल छवि। मोर मुकुट की लटक चटक वरणत अटकत कवि ॥ पीताम्बर फहरात मधुर मुसकात कपोलन । रच्यो रुचिर मुख पानतान गावत मृदुबोलन ॥ रतिकोटि काम अभिराम अतिदुष्ट निकंदन गिरिधरण । अानंद कंद ब्रजचंद प्रभु सुजयजयजय अशरण शरण॥ सो । गिरिजा रमण कृपाल बिघ्न हरण दूषणदरण । मोपरहोहु दयाल होहि ग्रन्थ भाषा सरल । रुज नाशक रविदेव तिमिर हरण संशयशमन । नमो चरण तवदेव होइग्रन्थ पूरणसुभग ।। दो। जिहि भूधर करपर धरो सह्यो सबैजंजाल ।