पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/२५

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तरंग विषय पृष्ठसे पृष्ठतक ना-पश्चात् कामकन्दलाके आभूषण शृं गार और सर्वांग शोभा वर्णन ॥ १४ माधवानल और कामकंदलाका राजसभा में गाना पश्चात् राजाका माधवानल को कामकन्दलापर मोहित जान निज सभासे निकालना। १५ माधवानल और कामकंदलाका रतिकेलि चरित्र अत्युत्तम रसीले छन्द कवित्तादिकों में वर्णन है। ७५ माधवानल का कामकन्दलाके प्रश्न में राग रागिनियों का भेदकहना और बारह दिवस रतिकेलि कर अानन्ददेना-पश्चात् राजभयसे सोतीहुई कामकन्दला को छोड़ अपनेमित्र गुलजार से भेटकर चलाजाना और कामकन्दला का विरह बिलाप वर्णन।। ७५ ८४ माधवानल का उज्जैन नगरी पहुँचना उज्जैन प्रशंसा और एक पाती प्रेमरस राती लिखि सुवाके कंठमें बाँध अपनी प्राणप्यारी कामकन्दला के पास भेजेना ।। १८ माधवानलकी. पाती लायेहुये शुकके साथ कामकन्दलाका बार्तालाप फिरकाम कन्दलाका भीउसी शुककेगलेमें पातीबाँध केजवाब लिखभेजना और राजाविक्रमके नगरमें एकमठमें माधवानलका यहदोहा लिखनाकि हम विक्रमकी राज्यमें वियोगी हराजाको हमारा वियोग बिनादूरकिये अन्न ८४ ८