पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१३०

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5०२ विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। वहपीरहमारी नपावतकोई । सोकाकोकरै मानसिखापनको जि यजाहीको आपने हाथनहोई ॥बोधाकदाचित जानेवहै यहमोहि यमैं जिन बेदनबोई । चावकचोट कटाक्षनकी तनाके लगी मनजानतसोई ॥ बोधासुभान हितूसोंकही यह दिलंदरकीको सहीकरमानत । तामृगनयनीकी चारुचितौनि चुभीचितमें चि तसोपहचानत ॥ तासों बिछोह दईनेकस्यो तो कहौ अबकैसेमैं धीरजआनत । जानतहैं सबहीसमझाय पै भावतीके गुणको न हिंजानत ॥ (राजावचन) छन्दतोमर । सुनिमाधवा प्रतिबैन । फिरकह्यो विक्रमसैन । मममहल भीतरजाय । जितनायका समुदाय ॥ सबकोकिला परवीन । नयेयौवना रसलीन ॥ बनिताबधूतकमें मित्त । जिनमें चभैतेरोचित्त । सो देउँ तोकहं आज। अरु बालियरको राज ॥ निजटेकतजिकैविप्र । यहकान कीजैक्षित्र ॥ (माधघा) दंडक । हेरहिरनाक्षीहारो चारहूदिशामें भारी जिनक कटाक्षन सोपाहन शिलाकटै । तेऊतोचुभैना बोधाचक्रकुचकोरनकेजोरन हितू के कोऊमुख सों कहास्टै ॥ सुन हे सुभान हियोहीसते सरसताबियोग बज्रघाउनसो रंचकनहींफट । खबीकेसमाज ठौर २ देख आयोयार पै नाया दिलदारको दरदकहूंघटै।। दो. कहैनपतिसुनु माधवा जिन भूलैबेकाज । निज कुटेकको त्यागके करोग्वालियरराज ॥ (माधौवचन) चौ. कहाराज करियेलैस्वामी। जोनघटै दिलकीचेरामी॥ मेरोराज्य कंदलानारी । तापैसबै रजायसुवारी॥ जौलौंहों जीवतजगमाहीं। तोलौभजौं कंदलाकाहीं।। जियतैजियों मरेमरिजाऊं। जन्म २ दिलबरकोध्याऊं।। स्वरगहितूतो स्वर्गपधारों । नरकहितूतो नरकसिधारों।