पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१०२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७४ बिरहबारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। जमणिमयहार ॥ कुच के छुवत झुकिमहरात । तकिया ओरट. रकतजात ॥ कमर ग्रीवपकरीदोय । बालारही दूनरहोय॥सखि नसों कहै तुमधाय। मोकहं आयलेहु बचाय ॥राखी दुवो जंघन बीच । कुचभुज नैनदैकेयींच॥ माधो गही बाल रिसाय । जंघा भुजाऊपरनाय ।। लागी कंपनथर २ बाम । पियपै चलत कांपे- गाम । उझकत झुकतयोंथहरात ।चलदलमातलोयहरात ॥ दं। उझकि चलत झुकिसरकि उसीसेही को तरककरकों हैं होत अलबेली की । सरकि २ सारी खरखि २ चूरी मुरकि २ कटिजात यों नबेलीकी॥बोधाकविछहर २ मोतीछहरात थहर २ देहकंपत न केलीकी । नीबीके छुवत प्यारी उलथि कलथिजात जैसेपानलगे लोटजात बेली ज्यों चमेलीकी॥ सो० सुनि प्रबोध होजाय सांचीते राचीअधिक। झूठी निपटसोहाय बालाकी अरुसुकविकी ॥ छ भुजंगप्र०ाधने घोर घुघरून के शोरछाये। घटासे चटाके उमड़मैन आये ॥ खुलेकेशचारो दिशाश्यामतासी । दियेदेह- दीपत तामें छटासी ॥ परैमोतियां जो गिरेबूंद भारी । मची स्वेदकी कीच यों देहसारी। तहां इन्दू पीनाकसे बाँकभोहे तिन्हों के परेखौर त्रैरेखसोहें। परै पायँते और से बर्जभारी॥धरासीतहाँ जोरधड़कनारी । कंपैशैलसे पीनदोऊउरोजं ॥ बलीसों चलीहै दुरयो तौ मनोज । तहाभूरिआ चूड़ियांचासबोलें ॥ मनोको- किला मेष झिल्ली कलोलें ॥ इतै प्रेम संग्राम बोधा बखानो। मघामास कैसोतमाशो बखानो॥ क. क्यारे जैतवारेकेबरै याकुचदोनों मल्लयुद्धके करैयाकहूं टारे न टरतहैं। सुभट विकट जुरेजघेवलवानते भुजानसों लप- टिनानेकुविहरत है । बोधा कविभृकुटी कमान नैना बानदार तीक्षणकटाक्षसरशैलसेपरतु हें। दंपतिसों रतिबिहार विहरततहां वायल से पायल गरीब बिहरतुहैं ।। दो० छलबल बालमबाल सों लयोमजाकारिकलि।