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बाबू ने मांझी की बात सुनकर कुछ उत्तर नहीं दिया पर मांझी उनका मौनभाव सम्मति लक्षण जानकर पार ले चला। वह मुसल्मान लोग पाल खोलकर खड़े हो गये, और "अल्लाह अल्लाह" कहकर नौका से जल गेरने लगे।

नौका के अभ्यन्तर स्त्रियों में एक बालिका और एक मध्य वयस की थी। बालिका ने उस स्त्री से पूछा कि "जीजी! तुम तैरना जानती हो?" उसने कहा "यद्यपि मेरा जन्म वक्रेश्वर नदी के तीर का है किन्तु मैं तैरना कुछ नहीं जानती।" बालिका ने फिर पूछा "यदि नौका डूबै तो क्या करोगी?" उसने कहा "ऐसी बात न कहना चाहिये स्थिर होकर बैठी रहो"।

ऐसे समय पूर्व दिशा में प्रबल वेग से वायु चलने लगी और उन्के मंगहों संग वही २ बूंदों से वृष्टि आई। गङ्गाजल के ऊपर 'चड़ चड़' शब्द से और नौका के छप्पर के ऊपर 'चटाम् चटास' शब्द से जल पड़ने लगा।

पाल में दमका वायु लगने से नाव डगमगाने लगी और उसमें बिस्तर जल भर गया। मध्या भय से कांपती थी, और त्राहि रव से गङ्गाजी को पुकारने लगी। एक जन मुसलमान ने नौका के जल गेरने का प्रारम्भ किया और सब पाल की डोरी पकड़कर खड़े रहे।

बाबू हुक्का हाथ में लेकर नीचे उतरे और नौका डूबने