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दृष्टिकोण
[ १ ]
निर्मला विश्व प्रेम की उपासिका थी। संसार में
सब के लिए उसके भाव समान थे। उसके हृदय में अपने पराये का भेद-भाव न था । स्वभाव से ही
वह मिलनसार, 'सरल, हंसमुख और नेक थी । साधारण
पढ़ी लिखी थी । अंगरेजी में शायद मैट्रिक पास थी।
परन्तु हिन्दी का उसे अच्छा ज्ञान था । साहित्य के संसार
में उसका आदर था, और काव्यकुंज की वह एक मनोहारिणी कोकिली थी।
निर्मला का जीवन बहुत निर्मल था। वह दूसरों के
आचरण को सदा भलाई की ही नजर से देखती । यदि
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