यह पृष्ठ प्रमाणित है।

[पापी पेट

राम, यह हत्या ! किसके लिए ? पेट के लिए ? इस पापी पेट को तो जानवर भी भर लेते हैं। फिर हम आदमी होकर इतना पाप क्यों करें ? इस बीस रुपट्टी के लिए यह कसाईपन ? न, अब तो यह न हो सकेगा। जिस परमात्मा ने पेट दिया है वह अन्न भी देगा। लानत है ऐसी नौकरी पर, और दूसरे दिन नौकरी से इस्तीफा देकर वह अपने देश को चला गया ।

[ २ ]

थानेदार बरकतउल्ला लाठी चार्ज के समय चिल्ला- चिल्लाकर हुक्म दे रहे थे "मारो सालों को" 'आए हैं स्वराज लेने', 'लगे खूब कस-कसके। परन्तु अपने कार्टर्स में पहुँचते-पहुँचते उनका जोश ठंडा पड़ गया। वे जबान के खराब अवश्य थे, पर हृदय के उतने खराब न थे। दर- वाजे के अन्दर पैर रखते ही उसकी बीवी ने कहा-देखो तो यह गफूर कैसा फूट-फूटकर रो रहा है। क्या किया है आज तुमने ? बार-बार पूँछने पर भी यही कहता है कि "अब्बा ने गोपू को जान से मार डाला है।" मेरी वो समझ में ही नहीं आता कि क्या हुआ ?

सुनते ही थानेदार साहब सर थामकर बैठ गए।

१८