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अमराई
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से अमराई में सावन के लगते ही झूला पड़ जाता

और विजयादशमी तक्र पड़ा रहता। शाम- सुबह तो बालक-बालिकाएँ और रात में अधिकतर युवतियाँ उस झूले की शोभा बढ़ातीं। यह उन दिनों की बात है। जब सत्याग्रह आन्दोलन अपने पूर्ण विकास पर था। सारे भारतवर्ष में समराभि धधक रही थी। दमन का चक्र अपने पूर्ण वेग से चल रहा था। अखबारों में लाठी- चार्ज, गोली-काण्ड, गिरफ़तारी और सजा की घूम के अतिरिक्त और कुछ रहता ही न था। इस गांव में भी सरकार के दमन का चक्र चल चुका था। कांग्रेस के

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