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[भूमिका


मनुष्य-चरित्र के संबंध में उन्हें कोई नई बात मालूम हुई यही चरित्र-चित्रण की कला है।

खेद है कि अधिकांश नये लेखकों में उपर्युक्त कला का अभाव मिलता है। इसका मुख्य कारण यही है कि वे न तो इसका ज्ञान प्राप्त करने के लिए यथेष्ट अध्ययन ही करते हैं और न शिक्षा ही ग्रहण करते हैं। परिणाम यह होता है कि उनको सफलता नहीं मिलती और वे बरसाती कीड़ों की भाँति थोड़े दिनों तक इस क्षेत्र में फुदक कर सदैव के लिए विलीन हो जाते हैं।

इस संग्रह की लेखिका श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान से हिन्दी-संसार भली भाँति परिचित है। इनकी भावमयी कविताओं का रसास्वादन हिन्दी-जगत बहुत दिनों से कर रहा है। परन्तु कहानी-क्षेत्र में इन्हें, इस संग्रह द्वारा, कदाचित् पहले ही पहल देखेगा। परन्तु उसे हताश नहीं होना पड़ेगा; क्योंकि श्रीमती जी की कहानियों में कला है। प्लाट्स में कुछ न कुछ अनोखापन है और चरित्रों में भी कुछ विचित्रता है। उदाहरणार्थ 'ग्रामीणा' कहानी का प्लाट साधारण है परन्तु उसमें "सोना" के अनोखे चरित्र ने जान डाल दी है। सोना एक ऐसी कन्या है, जो देहात के खुले वायु-मण्डल में, पली है। उसका

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