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शारीरिक चुस्ती 78 वर्ष की वृद्धावस्था मे भी उनको शारीरिक स्फूर्ति बहुत अद्भुत थी। सदा तनकर बैठते थे। कमर झुकाकर बैठना वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते थे । जहा किसी को कमर झुकाकर बैठे देखा, भट टोका । सीधे बैठने के लिए वे पीठ के पीछे काठ का एक तस्ता रख लिया करते थे, ताकि कमर न झुकी रहे । सर्दी के दिनो मे उनका शरीर तथा पर बहुत ठण्डे हो जाया करते थे, इसलिए सोते समय खून का दौरा बढाने के लिए कुछ मिनट थोडी कसरत करके वे शरीर को गर्म कर लिया करते ये । साय-प्रात नित्य आधे घण्टे घूमना उसका नित्यकम था। यथासम्भव इसमे बाधा न आती थी। यदि काम मे लगे रहने से रात के नी-दस बज जाए तो वे छुट्टी मिलते ही घूमने निकल पडते थे, कभी-कभी इतनी तेजी से चलते थे कि नवयुवक भी उनके साथ चलते हुए हाफ जाते थे।