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धन-सम्पत्ति उनके पास करोडो रुपये खर्च करने को दान में आए । बहुत लोग गुप्तदान मे चुपचाप बडी-बडो रकमे उन्हे दे जाते थे, परन्तु उहोंने कभी एक कोही भी इधर से उधर नही होने दी । उनके पास पाई-पाई का हिसाब रहता था। आए हुए पैसे को वे खूब सोच-विचार कर खर्च करते थे। धनाभाव से तो कभी उनका कोई काम रुका ही नहीं। एक बार उनके एक भक्त ने उनसे पूछा कि वे सट्टे वालो से दान क्यो लेते हैं, इस पर उन्होंने कहा, "सट्टे और शराब मे तो मैं मुकाबला ही नहीं कर पाता है। शराब के व्यापारियो से मैंने काफी रुपया लिया है । किसका पैसा लू और किसका छोड द?" दू