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जोडी बिछुड़ो कुछ दिन पहले से ही 'या' गो ऐसा भास होने लगा था कि उनको मौत अव निकट है। जव मागासां महल में महादेव देसाई या एकाएक स्वर्गवास हो गया तो ये बार-बार यह पहोलगी कि मुझे जाना था, फिर महादेव पयो चला गया। बाद में जय बापू ने मागाखा महल में उपवास पिया-तो जो मिलने वाले वहा उस समय बापू से मिलने आते और बापू के सम्बध में चिन्ता प्रक्ट परते, उनरो 'या' कहती, "मैं वापू से पहले जाऊगी, यापू जरूर उठ बैठेंगे। लेकिन मैं यहा से जीती बाहर नहीं निकलूगी। यह तो महादेव या मदिर है, जिस रास्ते महादेव गए, उसी रास्ते मैं भी जाऊगी।" फरवरी आते-आते उनकी हालत बिगड़ गई। चिकित्सा के सम्भव साधन, जो उस अवस्था मे प्रस्तुत हो सकते थे, प्रस्तुत किए गए। परतु परिणाम निराशापूर्ण हो रहा । उन्लोस फरवरी को यूमोनिया हो गया, इसलिए कलकत्ता से हवाई जहाज से सत्रह फरवरी को हरिलाल भाई को एक बार 'वा' से मिलने की आज्ञा दी गई। बीस फरवरी को हालत निराशाजनक हो गई। यही दशा इक्कीस फरवरी को रही। उसी दिन शाम को देवदास मनु और सतोप आ पहुचे । वाईस फरवरी को कलकत्ते से हवाई जहाज द्वारा पैसिलीन आ पहुची। 'बा' अद्धमूछित पड़ी थी। बापू ने पैसिलीन देने की मनाही कर दी। वापू अधिक समय अव 'या' के निकट ही बैठे रहते थे। अब 'बा' को जल निगलने मे भी