विधवाश्रम २५१ समाचारपत्रों मे छपा दिया जाएगा।" इसके बाद आपने लम्बे भाषण मे यह साबित कर दिया कि यह संस्था कितनी पवित्र है और आर्यसमाज के सिद्धान्तो की रक्षा के लिए ऐसी संस्थाओ की बडी भारी आवश्यकता है। आपके बैठते ही प्रबल ताली की घोषणा से सभामण्डप गूज उठा। इसके बाद मन्त्री महोदय वार्षिक रिपोर्ट पढने के लिए उठ खड़े हुए : रिपोर्ट पढने पर पता लगा कि गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष १५००) की अधिक आय हुई है (हर्षध्वनि) । इस वर्ष कुल ५५७५॥-)। आमदनी हुई है । और ५५७५१)॥ खर्च हुए है। रोकड़।-) बाकी बचा है। इनमे कर्मचारियों का वेतन ३२००) और मकान-भाडा और स्टेशनरी खाते १३००), मुकदमे खाते ०), छपाई खाते २००) रुपये खर्च हुए है। ७५३)॥ फुटकर खर्च खाते में आए है। यद्यपि ।-) की रकम जो हाथ मे बची है, बहुत कम है, फिर भी वह बचत तो है। ईश्वर की कृपा से हमारी सस्था को कर्ज़ नही लेना पडा है । रिपोर्ट खतम होते ही फिर तालियोकी ध्वनि से सभा-भवन गूज उठा। इस बीच मे एक आदमी ने खड़े होकर कहा-मुकदमे मे ८०० ) की बडी रकम खर्च होने का कारण क्या है ? सभापति ने कहा, "कृपा कर बैठ जाइए, सभा के काम में गड़बडी न कीजिए।" पर उसने एक न सुनी । कड़ककर कहा, "महाशय, मैने गत वर्ष ५०० ) दान दिया था, और बीच-बीच मे भी मैं संस्था को सहायता देता रहा हूं। सो क्यामुकदमेबाजी मे खर्च करने के लिए? मै यह जानना चाहता हू कि जनता के धन का दुरुपयोग तो नही किया जा रहा है।" मन्त्री जी ने कहा-हमारे पूज्य प्रधान जी-डाक्टर साहब पर एक मामूली औरत के भगाने का मुकदमा खडा किया गया। इसके सिवा हमारे विश्वासी कर्मचारी गजपति के विरुद्ध भी दो ऐसे ही झूठे मुकदमे खड़े कर दिए गए थे। यह बात सभी जानते है कि उक्त दोनो सज्जन सस्था के कितने सहायक है । इसलिए विवश हो हमे पैरवी करनी पड़ी और यह रुपया खर्च करना पड़ा। इतने मे एक दूसरे आदमी ने खडे होकर कहा-और वेतन खाते जो आपने तीन हजार से अधिक रकम डाली है, इसका ब्योरा क्या है ? जितने उच्च अधि- कारी हैं,वे तो सभी अवैतनिक है, फिर इतनी रकम क्या की जाती है ? यह सुनते ही सभापति ने खड़े होकर कहा-महाशय, यह तो सभा के काम मे पूरा विघ्न हो रहा है । कृपा कर आप बैठ जाइए।
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