लाल पानी १२१ पटेल की बात पूरी भी न हुई थी कि जाम रावण ने पटेल के तीसरे पुत्र की छाती मे भाले की अणी भोंक उसे भाले पर अधर उठा लिया। बालक की छाती में से खून की धारा बह चली और वह अधर मे तड़पने लगा। रावण ने लाश धरती पर पटक दी और बालक के गरम लहू की अजली भरकर पटेल के मुह पर दे मारी। पटेल की धौली मूछे लाल हो गईं। भिया की आखों मे अधेरा छा गया और उसका शरीर पीपल के पत्ते की भाति कापने लगा। यह देख पटेल की स्त्री घबराई। उसे शका हुई कि कही दु.ख से घबराकर पटेल राजकुमारो का भेद न बता दे जिससे हमारी सारी कमाई धूल मे मिल जाए और दुनिया मे हमारा मुह काला हो। वह झोपड़ी से निकलकर पटेल के पास आई । उसने उसके कान के पास मुंह लगाकर धीरे से कहा, "हिम्मत न हारना । हमारा जन्म तो कुत्ते का-सा है । मैं जिन्दा रही तो और पुत्र जनूगी। पर तुम इस समय मोह मे पडकर राजवश का नाश न करा बैठना । छाती को मजबूत रखना ।" पत्नी के वचन सुन पटेल ने आंसू पोछ डाले । वह तनकर राजा के सामने खड़ा हो गया। राजा ने एक-एक कर उसके चार और पुत्रो को भी तलवार के घाट उतार दिया। पटेल और उसकी स्त्री उसी भांति अचल अटल खड़े रहे। उनकी मुख-मुद्रा से अथवा अग-चेष्टा से दुःख का चिह्न नही प्रकट हो रहा था। सारी धरती लहू से लाल हो गई थी। सात लारो भूमि पर खण्ड-खण्ड पडी थी, जिनसे रह-रहकर गरम रक्त रिस रहा था। पटेल और उसकी पत्नी अचल पर्वत की भांति सामने खड़े थे। यह सब हृदय-विदारक दृश्य देख रावण के भायात शिवजी लुहाणा, जो उस समय रावणसिंह के साथ था, का हृदय द्रवित हो उठा । उसने कहा, “महाराज, जिसकी आखो के आगे सात पुत्रो को बकरे के समान हलाल कर दिया गया, तो भी कुमारो के सम्बन्ध मे कोई सूचना नही दी,अब आप उससे और क्या आशा रखते है ! मेरी तो विनती है कि अब इस पटेल और इसकी स्त्री को तथा एक पुत्र को प्राण-दोन दीजिए। यदि इस समाचार को जानकर ये सब मियाना लोग बिगड बैठे तो आपको और चामुण्डरायको इस राज्य मे रहना दूभर हो जाएगा।" पर रावण ने इस ठाकुर की बात सुनी-अनसुनी करके पटेल को लक्ष्य करके कहा, "जो अब भी तुझे जीवित रहने की इच्छा है, तो कुमारी का पता बता दे, .
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