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लाल पानी पीछे देखना । अभी तुम अच्छी तरह महल की तलाशी लो और देखो कि राज- विद्रोही कौन है !" महल की राई-रत्ती तलाशी ली गई। राजकुमारो को न मिलनाथा, न मिले। चामुण्डराय भूखे बाघ की तरह बफरने लगा। उसने अजाजी से कहा, "राज- कुमारो को आपने जान-बूझकर भगा दिया है। निस्सदेह वे राजमहल मे नही है, परन्तु कोई चिन्ता नही, मैं उन्हे सात पाताल से पकड़ लाऊगा।" उसने सिपाहियों से कहा, "जाओ, देखो, इस गांव मे कोई पगी-खोजी है, यदि हो तो उसे पकड़ लाओ।" गाव मे कोई खोजी न था, पर वहा से दो गावों के अन्तर पर एक प्रसिद्ध खोजी रहता था। चामुण्डराय ने उसे मगाया। खोजी ने आकर पैरो के चिह्न देख- जाचकर कहा, “अन्नदाता, चोर साड़नी पर सवार होकर भागा है।" इस खोज-जाच में दो प्रहर काल बीत गया। और जब खोजी को आगे करके चामुण्डराय की खूनी टोली साड़नी के पग-चिह्न देखती आगे बढ़ रही थी, तब सूर्य ढलने लगा था। जब चामुण्डराय की हत्यारी टोली पिजोड गाव की सीमा से चली गई तब अजाजी ने रानी से कहा, "यह विपत्ति तो टली, परन्तु बात गम्भीर है और कच्छ के धनी की रक्षा का प्रश्न है । यद्यपि छच्छरबूटा को भाग निकलने का यथेष्ट समय मिल गया है तथापि हमे राजकुमारो की ओर से निश्चिन्त न रहना चाहिए। यदि उनका कुछ अशुभ हो गया तो हमारे कुल को भी दाग लग जाएगा। चामुण्ड- राय खोजी को साथ लेकर गया है । आश्चर्य नही कि छच्छर को पकड़ ले। अकेला छच्छर क्या कर लेगा ! चामुण्डराय के साथ पच्चीस सिपाही है। वे और उनके घोड़े भी थके हुए हैं। इसलिए मैं अपने हथियारबन्द आदमियो को लेकर उनके पीछे जाता हू । व्यर्थ झगड़ा मै नही करूगा। पर कदाचित् राजकुमार इन हत्यारों के हाथ मे पड़ ही गए, तो मैं भी दो-दो हाथ दिखाकर या तो उनका उद्धार करूगा या वही खेत रहूगा।" इतना कह, रानी को समझा-बुझा, उसे बिलखती छोड़, पचास हथियारबन्द राजपूत सग ले अजाजी ने भी चामुण्डराय का अनुसरण किया। छच्छरबूटा राजकुमारों को पीठ पर फेंट से कसे साड़नी पर सवार झपाझप