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१०६ बर्मा रोड और राजा बहादुर होकर प्रतिदिन जनरल के बंगले से निकलता। चार माह बाद । युद्ध-सामग्री, रसद और सैनिको से भरी हजारो लारियां, सैकडो टैक और दस्ते के दस्ते सफ बाधे रात-दिन बर्मा की ओर अग्रसर हो रहे थे। लेफ्टिनेण्ट जनरल वुड ने सरकार की सबसे बड़ी कठिनाई हल कर दी थी और भारत सरकार ने इसके लिए जनरल वुड को धन्यवाद का पत्र लिखकर आभार माना था।