पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/७५

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अशौच अशौच संज्ञा पुं० [वि० अशुचि] अप- विनता । अशुद्धता । अश्मकुट्ट -संज्ञा पुं० एक प्रकार के वानप्रस्थ जो केवल पत्थर से अन कूटकर पकाते थे 1 ६७ अष्टाक्षर कर उसकी चर्बी से हवन किया जाता था। अश्वशाला - संज्ञा स्त्री० अस्तबल । तबेला । अश्वारोही - वि० घोड़े का सवार । श्रश्रद्धा-संज्ञा स्त्री० [वि० अश्रद्ध ेय ] अश्विनी -संज्ञा स्त्री० १. घोड़ी । २. श्रद्धा का अभाव । अश्रांत - वि० जो थका-माँदा न हो । कि० वि० लगातार । निरंतर । श्रश्रु-मंज्ञा पुं० श्रसू । अश्रुत - वि० १. जो सुना न गया है। । २. जिसने कुछ देखा-सुना न हो । अश्रुपात -संज्ञा पुं० आँसू गिराना । अश्लिष्ट - वि० श्लेषशून्य । अश्लील - वि० फूहड़ | भद्दा | अश्लीलता - संज्ञा स्त्री० फूहड़पन | लज्जा का उल्लंघन । अश्लेषा -संज्ञा स्त्री० २७ नक्षत्रों में से नवाँ | अश्व-संज्ञा पुं० घोड़ा । अश्वकर्ण - संज्ञा पुं० एक प्रकार का शाल वृक्ष । अश्वगंधा - संज्ञा स्त्री० असगंध । अश्वतर - संज्ञा पुं० [ खी० अश्वतरी ] १. नागराज । २. खबर । अश्वत्थ-संज्ञा पुं० पीपल । अश्वत्थामा -संज्ञा पुं० द्रोणाचार्य के पुत्र । अश्वपति -संज्ञा पुं० १. घुड़सवार । २. रिसालदार । अश्वपाल -संज्ञा पुं० साईस । अश्वमेध - संज्ञा पुं० एक बड़ा यज्ञ जिसमें घोड़े के मस्तक पर जयपत्र बांधकर उसे भूमंडल में घूमने के लिये छोड़ देते थे । फिर उसको मार- २७ नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र । अश्विनीकुमार - संज्ञा पुं० [सं०] स्वष्टा की पुत्री प्रभा नाम की स्त्री से उत्पन्न सूर्य के दो पुत्र जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं । अषाढ़-संज्ञा पुं० दे० " श्राषाढ़" । अष्ट वि० [सं०] आठ अष्टधाती - वि० १. अष्टधातुओं से बना हुआ । २. दृढ़ । मज़बूत । ३. वर्णसंकर | 1 अष्टधातु संज्ञा स्त्री० भाठ धातुएँ- सोना, चाँदी, ताँबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा और पारा । अष्टपदी संज्ञा स्त्री० एक प्रकार का गीत जिसमें बाठ पद होते हैं अष्टप्रकृति - संज्ञा स्त्री० राज्य के आठ प्रधान कर्मचारी । यथा -- सुमंत्र, पंडित, मंत्री, प्रधान, सचिव, अमात्य, प्राड्विवाक और प्रतिनिधि | अष्टभुजा - संज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्गा । अष्टम - वि० पुं० [सं० ] आठवीं । अष्टमी -संज्ञा स्त्री० [सं०] शुक्ल या कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि । अष्टांग संज्ञा पुं० [वि० अष्टांगी ] योग की क्रिया के माठ भेद-यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि । अष्टांगी - वि० आठ अंगोंवाला । श्रष्टाक्षर-संज्ञा पुं० आठ अक्षरे। का मंत्र |