पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/४७

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अनादि अनादि - वि० जिसका आदि न हो । जो सब दिन से हो। अनाहत - वि० जिसका अनादर हुश्रा हो । अपमानित | अनाना - क्रि० स० मँगाना । अनाप-शनाप - संज्ञा पुं० १. ऊट- पाँग । २. निरर्थक बकवाद । अनाम - वि० [सं०] [स्त्री० अनामा ] १. बिना नाम का । २. श्रप्रसिद्ध | अनामय - वि० १. रोगरहित । तंदु- रुस्त । २. निर्दोष | ३६ संज्ञा पुं० १. तंदुरुस्ती । २. कुशल- क्षेम । अनामिका - संज्ञा स्त्री कनिष्ठा और मध्यमा के बीच की उँगली । अनायास - क्रि० वि० बिना प्रयास | अचानक । अनिरुद्ध संज्ञा पुं० १. शब्दयोग में वह शब्द जो दोनों हाथों के अँगूठों से दोनों कानों को बन्द करने से सुनाई देता है । २. हठ योग के अनुसार शरीर के भीतर के छः चक्रों में से एक । अनाहार-संज्ञा पुं० भोजन का श्रभाव या त्याग । वि० निराहार | जिसने कुछ खाया हो । अनाहूत - वि० बिना बुलाया हुआ । अनिच्छा-संज्ञा स्त्री० इच्छा का अभाव । अरुचि । अनिच्छित - वि० १. जिसकी इच्छा न हो । अनचाहा । २. अरुचिकर । अनिंद्य वि० पुं० [सं० ] जो निंदा के योग्य न हो । उत्तम । अनार - संज्ञा पुं० एक पेड़ और उसके अनित्य - वि० [स्त्री० अनित्या । संज्ञा फल का नाम । दाड़िम । अनारदाना - संज्ञा पुं० १. खट्टे श्रनार का सुखाया हुआ दाना । २. रामदाना । अनार्य संज्ञा पुं० १. वह जो श्रार्य न हो । २. म्लेच्छ । अनावश्यक वि० [संज्ञा अनावश्यकता] जिसकी श्रावश्यकता न हो । अनावृत - वि० जो ढँका न हो । खुला । अनावृष्टि - संज्ञा स्त्री० वर्षा का अभाव । सूखा । अनाश्रय - वि० निराश्रय । अनाथ | दीन । अनाश्रित- वि० बेसहारा । अनास्था-संज्ञा स्त्री० १. श्रास्था का अभाव । २. अनादर । अनाहत - वि० जिस पर श्राघात न हुधा हो । अनित्यत्व, अनित्यता ] १. जो सब दिन न रहे । २. नश्वर । निद्र - वि० विद्वारहित । जिसे नींद न श्रवे । संज्ञा पुं० नींद न आने का रोग | श्रनिमा - संज्ञा स्त्री० दे० " श्रणिमा" । श्रनिमिष, अनिमेष - वि० स्थिर दृष्टि । टकटकी के साथ | क्रि० वि० १. बिना पलक गिराए । एक टक । २. निरंतर । अनियंत्रित - वि० बिना रोक टोक का । अनियमित वि० [सं०] १. नियम- रहित । अव्यवस्थित । २. श्रनिश्चित । श्रनियारा - वि० [स्त्री० अनियारी ] नुकीला | पैना | धारदार । तीक्ष्य । अनिरुद्ध - वि० [सं०] जो रोका हुआ न हो । बेरोक |