पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/४०

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अदिति २. श्रदिति - संज्ञा स्त्री० १. प्रकृति । पृथ्वी । ३. दक्ष प्रजापति की कन्या और कश्यप की पत्नी जो देवताओं की माता हैं । ४. लेक । ५. श्रंत रिक्ष । ६. माता । ७. पिता । श्रदितिसुत - संज्ञा पुं० १. देवता । २. सूर्य्य । दिन- संज्ञा पुं० बुरा दिन । संकट या दुःख का समय । श्रदिव्य - वि० लौकिक । साधारण । अदीठ - वि० बिनादेखा हुआ । गुप्त । छिपा हुआ । श्रदीयमान- वि० जो न दिया जाय । श्रदुंदः - वि० १. द्वंद्व - रहित । बिना संकट का । २. शांत । निश्चिंत । अदूरदर्शी - वि० जो दूर तक न सोचे । अदूषण - वि० निर्दोष | शुद्ध । प्रदूषित - वि० निर्दोष | शुद्ध । श्रदृश्य - वि० जो दिखाई न दे अलख । श्रदृष्ट-वि० [सं० ] न देखा हुआ । संज्ञा पुं० १. भाग्य । २. अभि और जल आदि से उत्पन्न आपत्ति । जैसे, आग लगना, बाढ़ थाना । अदृष्टपूर्व - वि० जो पहले न देखा गया हो । श्रदृष्टवाद - संज्ञा पुं० परलोक आदि परोक्ष बातों का निरूपक सिद्धांत | देख - वि० १. छिपा हुआ । गुप्त । २. न देखा हुआ । श्रदेखी - वि० जो न देख सके । डाही । द्वेषी । ईर्षालु । अदेय - वि० न देने योग्य । जिसे दे नसके । श्रदेह - वि० बिना शरीर का । । ३२ संज्ञा पुं० कामदेव | श्रदाखिल - वि० निर्दोष । श्रदोषक - वि० [सं०] १. निर्दोष । निष्कलंक | बेऐब । २. निरपराध । श्रद्धा - संज्ञा पुं० १. किसी वस्तु का श्राधा मान । २. वह बोतल जो पूरी बोतल की श्राधी हो । श्रद्धी- संज्ञा स्त्री० १. दमड़ी का आधा । एक पैसे का सोलहवाँ भाग । २. एक बारीक और चिकना कपड़ा । अद्भुत - वि० विचित्र । श्रनाखा । संज्ञा पुं० काव्य के नौ रसों में एक जिसमें विस्मय की परिपुष्टता दिख- लाई जाती है। श्रद्रव्य-संज्ञा पुं० सत्ताहीन पदार्थ | श्रसत् । शून्य । श्रभाव । वि० द्रव्य या धन-रहित । दरिद्र । श्रद्रा - संज्ञा स्त्री० दे० "आर्द्रा" । श्रद्रि-संज्ञा पुं० पर्वत । पहाड़ । श्रद्रितनया - संज्ञा स्त्री० १. पार्वती । २. गंगा । श्रद्वितीय - वि० [सं०] १. अकेला । एकाकी । २. बेजोड़ | ३. विलक्षण । श्रद्वत - वि० [सं०] १. एकाकी । अकेला । २. अनुपम । बेजोड़ | संज्ञा पुं० ब्रह्म । ईश्वर । अद्वैतवाद - संज्ञा पुं० वह सिद्धांत जिसमें चैतन्य या ब्रह्म के अतिरिक्त और किसी वस्तु या तत्त्व की वास्तव सत्ता नहीं मानी जाती और श्रात्मा और परमात्मा में भी कोई भेद नहीं स्वीकार किया जाता । वेदांत मत । श्रद्वैतवादी - संज्ञा पुं० श्रद्वैत मत को मानवाला । वेदांती ।