पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१९

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अँधियार वि० अधिकता से । बहुतायत से । अँधियार - संज्ञा पुं० बि० दे० " धेरा" । अँधियारा -संज्ञा पुं० वि० दे० “अँधेरा” । श्रधियारी - संज्ञा स्त्री० उपद्रवी घोड़ों, शिकारी पक्षियों और चीतों की श्रंख पर बाँधी जानेवाली पट्टी । अंधेर - संज्ञा पुं० १. अन्याय । प्रत्या- चार । २. उपद्रव । गड़बड़ । अंधेर खाता- संज्ञा पुं० हिसाब-किताब और व्यवहार में गड़बड़ी | अन्याय । कुप्रबंध | अँधेरा- संज्ञा पुं० [स्त्री० अँधेरी ] अंध- बार । तम । धुंध | अँधेरा उजाला- संज्ञा पुं० काग़ज़ मो- ड़कर बनाया हुआ लड़कों का एक खिलौना । अँधेरिया - संज्ञा स्त्री० १. अँधेरी रात । वाली रात । २. अँधेरा पक्ष | अँधेरा पाख । संज्ञा स्त्री० ऊख की पहली गोड़ाई । अँधेरी - संज्ञा स्त्री० १. अंधकार । तम । प्रकाश का अभाव । २. अँधेरी रात | काली रात । ३ श्रधी । अंधड़ । ४. घोड़ों या बैलों की अाँख पर डालने का परदा । अँधोटी - संज्ञा स्त्री० बैल या घोड़े की ख बंद करने का ढक्कन या परदा । अंध्यार* +- संज्ञा पुं० दे० "अँधेरा" । अँध्यारी - संज्ञा स्त्री० दे० "अँधेरी " । - संज्ञा स्त्री० दे० "या" । संज्ञा पुं० ग्राम का पेड़ । श्रंबक - संज्ञा पुं० १. आँख । २.पिता । अंबर- संज्ञा पुं० १. वस्त्र । कपड़ा । २. स्त्रियों के पहनने की एक प्रकार ११ अंबिका की एकरंगी किनारेदार धोती । ३. आकाश । श्रासमान । ४. कपास । ५. एक सुगंधित वस्तु । ६. एक इत्र । ७. अबरकु । ८. अमृत । है, बादल । मेघ । (०) अंबर डंबर - संज्ञा पुं० सूर्यास्त के समय की लाली । झुंबर बेलि- ठ - संज्ञा स्त्री० आकाश बेल । बराई- -संज्ञा स्त्री० श्राम का बगीचा | श्रम की बारी । अंबरीष-संज्ञा पुं० अयोध्या का एक सूर्यवंशी परम वैष्णव राजा । श्रंबक -संज्ञा पुं० [सं० ] देवता । अंबष्ठ - संज्ञा पुं० [स्त्री० अंबष्ठा ] १. पंजाब के मध्यभाग का पुराना नाम । २. ब्राह्मण पुरुष और वैश्य श्री से उत्पन्न एक जाति । ( स्मृति ) ३. महावत | हाथीवान । फीलवान | श्रंबा - संज्ञा स्त्री० १. माता । जननी । २. पार्वती । देवी । दुर्गा । ३. काशी के राजा इंद्रधुम्न की उन तीन कन्याओं मैं सबसे बड़ी जिन्हें भीष्म पितामह अपने भाई विचित्रवीर्य के लिये हरण कर लाए थे 1 बापोली - संज्ञा स्त्री० श्रमावट । श्रम- रस । श्रंबार - संज्ञा पुं० ढेर । समूह | अंबारी-संज्ञा स्त्री० १. हाथी की पीठ पर रखने का हौदा जिसके ऊपर एक छज्जेदार मंडप होता है । २. छज्जा । बालिका - संज्ञा स्त्री० १. माता । माँ । २. काशी के राजा इंद्रन की उन तीन कन्याओं में से सबसे छोटी जिन्हें भीष्म अपने भाई विचित्रर्वर्ण्य के लिये हर लाए थे । अंबिका-संज्ञा बी० १. माता । माँ ।