पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१८३

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कुर्मी की वसूली के लिये सरकार द्वारा जब्त किया जाना । कुर्मी-संज्ञा पुं० दे० "कुनबी" । कलंग - संज्ञा पुं० मुग़ । कुलंजन - संज्ञा पुं० १. अदरक की तरह का एक पौधा जिसकी जड़ गरम और दीपन होती है । २. पान की जड़ । कुल - संज्ञा पुं० वंश । वि० समस्त | कुलकना - क्रि० प्र० आनंदित होना । कुलकलंक -संज्ञा पुं० अपने वंश की कीति में धब्बा लगानेवाला । कुलकानि -संज्ञा स्त्री० कुल की मर्यादा । कुलकुलाना - क्रि० अ० कुल कुल शब्द करना । कुलक्षण-संज्ञा पुं० [स्त्री० कुलक्षणी ] बुरा लक्षण | वि० [स्त्री० कुलक्षणा ] बुरे लक्षण- वाला । कुलच्छन-संज्ञा पुं० दे० ‘“कुलक्षण" । कुलच्छमी -संज्ञा स्त्री० दे० "कुल- "क्षण" । पुं० [स्त्री० कुलटा ] बद- कुलटा - वि० स्त्री० छिनाल । (खी ) संज्ञा स्त्री० वह परकीया नायिका जो बहुत पुरुषों से प्रेम रखती हो । कलधर्म-संज्ञा पुं० कुल परंपरा से 'चला आता हुआ कर्त्तव्य | कुलपति - संज्ञा पुं० १. घर का मालिक । २. वह ऋषि जो दस हज़ार विद्या थियों को शिक्षा दे । कुलफ+-संज्ञा पुं० ताला । कुलफत - संज्ञा स्त्री० चिंता । कुलफा -संज्ञा पुं० एक साग । १७५ कलीन कुलफी - संज्ञा खा० १. पेंच । २. टीन आदि का चोंगा जिसमें दूध आदि भरकर बर्फ जमाते हैं । कलबुल -संज्ञा पुं० [ संज्ञा कुलबुलाइट ] छोटे छोटे जीवों के हिलने डोलने की ब्राइट । कुलबुलाना - क्रि० अ० १. डोलना । २. चंचल होना । कुलबोरन + - वि० कुल में दाग़ लगाने- वाला । कुलवधू -संज्ञा स्त्री० कुलवती स्त्री । मर्यादा से रहनेवाली स्त्री । कुलवंत - वि० [स्त्री० कुलवंती ] कुलीन । कुलवान - वि० [स्त्री० कुलवती ] कुलीन । कुलह-संज्ञा स्त्री० १. टोपी । २. शि- कारी चिड़ियों की श्रीखों पर का ढक्कन । कलहा - संज्ञा पुं० दे० " कुलह" । कुंळही संज्ञा बी० कनटोप । कुलांगार - संज्ञा पुं० कुल का नाश करनेवाला | कुलाँच, कुर्लाट-संज्ञा स्त्री० छलाँग । कुलाबा - संज्ञा पुं० लोहे का जमुरका जिसके द्वारा किवाड़ बाजू से जकड़ा रहता है। कुलाल-संज्ञा पुं० [ स्त्री० कुलाली ] १. कुम्हार । २. जंगली मुर्गा । कुलाहल - संज्ञा पुं० दे० "कोला- हल" । कलिंग - संज्ञा पुं० पक्षी । कॅलिक - संज्ञा पुं० १. शिल्पकार । २. कुल का प्रधान पुरुष । कलिश - संज्ञा पुं० १. हीरा । २. वज्र कॅली - संज्ञा पुं० मज़दूर । कॅलीन - वि० [ संज्ञा कुलीनता ] १.