कुईदार मुलम्मा । ३. तड़का भड़क । ४. चूने कलधौत-संज्ञा पुं० १. सोना । २. का लेप | सफेदी । कुलई या कुलईदार - वि० जिस पर "रांगे का लेप चढ़ा हो । कलकंठ - संज्ञा पुं० [ खो० कलकंठो ] कोकिल । वि० मीठी ध्वनि करनेवाला । कलक - संज्ञा पुं० १. बेचैनी । २. रंज । कलकना - क्रि० प्र० चिल्लाना । कलकल - संज्ञा पुं० १. करने आदि के जल के गिरने का शब्द । २. कोला- हल | संज्ञा खो० झगड़ा । कलकूजिका - वि० स्त्री० मधुर ध्वनि करनेवाली । कलगी-संज्ञा स्त्री० १० शुतुरमुर्ग आदि चिड़ियों के सुंदर पंख जिन्हें पगड़ी या ताज पर लगाते हैं । २. माती या सोने का बना हुआ सिर का एक गहना । ३. चिड़ियों के सिर पर की चोटी । ४. इमारत का शिखर । कलछा - संज्ञा पुं० बड़ी डाँड़ी का चम्मच या बड़ी कलछी । कलछी - संज्ञा स्त्री० बड़ी डाँड़ी का चम्मच जिससे बटलाई की दाल आदि चलाते या निकालते हैं। कल जिग्भा - वि० [स्त्री० कलजिन्भी ] १. जिसकी जीभ काली हो । २. जिसके मुँह से निकली हुई अशुभ बातें प्रायः ठीक घटे । कळवा - वि० सविला । कलत्र--संज्ञा पुं० स्त्री । पत्नी । कलदार - वि० जिसमें कल लगी हो । संज्ञा पुं० सरकारी रुपया । कलधूत-संज्ञा पुं० चाँदी । "T कलमलगा चाँदी । कलन - संज्ञा पुं० [वि० कलित] १. उत्पन २. करना । २. श्राचरण । कलप-संज्ञा पुं० १. कल । खिजाब | कलपना - कि० अ० विलाप करना । क्रि० स० काटना ।
- संज्ञा स्त्री० दे० "कल्पना" । कलपाना - क्रि० स० दुःखी करना । कलफ - संज्ञा पुं० १. पतली लेई जिसे कपड़ों पर उनकी तह कड़ो और बरा- बर करने के लिये लगाते हैं । २. चेहरे पर का काला धब्वा । कलबल - संज्ञा पुं० उपाय | संज्ञा पुं० शोर-गुल । कलबूत - संज्ञा पुं० १. ढाँचा । २.
फ़रमा । कलम- संज्ञा पुं० खो० १. लेखनी । २. किसी पेड़ की टहनी जो दूसरी जगह बैठाने या दूसरे पेड़ में वैवंद लगाने के लिये काटो जाय । ३. वे बाल जे। हजामत बनवाने में कन- पटियों के पास छोड़ दिए जाते हैं । ४. बालों की कूची जिससे चित्रकार चित्र बनाते या रंग भरते हैं । कलमकसाई -संज्ञा पुं० वह जो कुछ लिख- पढ़कर लोगों की हानि करे । कलमकारी-संज्ञा स्त्री० कृलम से किया हुआ काम । कलमतराश - संज्ञा पुं० चाकू । कलमदान - संज्ञा पुं० कलम, दावात आदि रखने का डिब्बा या छोटा संदूक । कलमना क्रि० स० काटना । कलमलना- क्रि० प्र० कुबाबुलाना ।