पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१४१

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कटि कछुए की खोपड़ी । कटि-संज्ञा जो० कमर । कटिजेव-संज्ञा चूरन बेचने वाली स्त्री० करधनी । कटिबंध - संज्ञा पुं० १. कमरबंद | २. गरमी सरदी के विचार से किए हुए पृथ्वी के पांच भागों में से कोई एक । कटिबद्ध - वि० १. कमर बाँधे हुए । २. तैयार । काटसूत्र - संज्ञा पुं० कमर में पहनने का डोरा । कटीला - वि० [स्त्री० कटीली ] तीक्ष्ण । वि० १. कांटेदार । २. नुकीला । कटु - वि० बुरा लगनेवाला । कटुता -संज्ञा स्त्री० कडु श्रापन | कटुत्व-संज्ञा पुं० कड़ापन । कटूक्ति-संज्ञा स्त्री० अप्रिय बात । कटेरी -संज्ञा स्त्रो० भटकटैया | कठैया | -संज्ञा पुं० काटनेवाला । कटोरदान-संज्ञा पुं० पीतल का एक ढक्कनदार बरतन जिसमें तैयार भोजन आदि रखते हैं । कटोरा - संज्ञा पुं० खुले मुँह, दीवार और चौड़ी पेंदी का एक छोटा बरतन । नीची कटोरी - संज्ञा स्त्री० छोटा कटोरा । कटौती - संज्ञा स्त्री० किसी रकुम को देते हुए उसमें से कुछ बँधा हक या धर्मार्थ द्रव्य निकाल लेना । कट्टर - वि० अंधविश्वासी । कट्टा - संज्ञा पुं० महापात्र । कट्टा - वि० हट्टा-कट्टा | कट्ठा - संज्ञा पुं० ज़मीन की एक नाप जा पाँच हाथ चार अंगुल की होती है । कठ-संज्ञा पुं० लकड़ी । कठकेला -संज्ञा पुं० एक प्रकार का १३३ कठौता केला जिसका फल रूखा और फीका होता है 1 कठपुतली - संज्ञा स्त्री० १. काठ की गुड़िया या मूर्ति जिसको तार द्वारा नचाते हैं । २. वह व्यक्ति जो केवल दूसरे के कहने पर काम करे । कठड़ा - संज्ञा पुं० १. कटहरा । २. कठफोड़वा - संज्ञा पुं० खाकी रंग की एक चिड़िया जो पेड़ों की छाल को छेदती रहती है । कठबंधन-संज्ञा पुं० काठ की वह बेड़ी जो हाथी के पैर में डाली जाती है कठबाप - संज्ञा पुं० सैौतेला बाप । कठमलिया - संज्ञा पुं० १. काठ की माला या कंठी पहननेवाला वैष्णव । २. झूठा संत । कठमस्त - वि० संड- मुसंड | कठमस्ती - संज्ञा स्त्री० मुसंडापन । कठरा - संज्ञा पुं० दे० " कटहरा" या " कटघरा " । कठिन - वि० १. कड़ा । २. दुष्कर । कठिनता - संज्ञा स्त्री० १. कठोरता । २. श्रसाध्यता । कठिनाई - संज्ञा स्त्री० मुशकिल । कठियाना- क्रि० अ० सूखकर कड़ा हो जाना । कठुवाना + - क्रि० प्र० सूखकर काठ की तरह कड़ा होना । कठूमर - संज्ञा पुं० जंगली गूलर । कठोर - वि० कठिन । निष्ठुर । कठोरता - संज्ञा स्त्री० १. निर्दयता । कड़ाई । २. कठेोरपन-संज्ञा पुं० कठोरता । कठौता - संज्ञा पुं० काठ का एक बड़ा और चौड़ा बरतन ।