कचना हुआ अचार | २. कुचली हुई वस्तु । कचाना - क्रि० स० चुभाना । कचोरा+-संज्ञा पुं० [स्त्री० कचोरी ] कटोरा | कचौड़ी, कचौरी - संज्ञा स्त्री० एक प्रकार की पूरी जिसके भीतर उरद श्रादि की पीठी भरी जाती है । कच्चा - वि० १. हरा और बिना रस का । श्रपक्क । २. जो पुष्ट न हुआ हो । ३. कमजोर । ४. जो प्रामाणिक तौल या माप से कम हो । संज्ञा पुं० १. वह दूर दूर पर पड़ा हु तागेका डोभ जिस पर दरजी बखिया करते हैं । २. मसविदा | कच्चा चिट्ठा -संज्ञा पुं० १. वह वृत्तांत जो ज्यों का त्यों कहा जाय । २. गुप्त भेद । कच्चा माल-संज्ञा पुं० वह द्रव्य जिससे व्यवहार की चीज़ बनती हैं। । कच्चा हाथ -संज्ञा पुं० अनभ्यस्त हाथ । कच्चो - वि० " कच्चा " का खोलिंग । संज्ञा स्त्री० दे० " कच्ची रसोई" । कवी चीनी -संज्ञा स्त्री० वह चीनी जो खूब साफ़ न की गई हो । कच्चो बही - संज्ञा स्त्री० वह वही जिसमें ऐसा हिसाब लिखा हो जो पूर्ण रूप से निश्चित न हो । कच्ची रसोइ -संज्ञा स्त्री० केवल पानी में पकाया हुआ धन कच्ची सड़क - संज्ञा स्त्री० वह सड़क जिसमें कंकड़ आदि न पिटा हो । कवी सिलाई -संज्ञा स्त्री० दूर दूर पर पड़ा हुआ डोभ या टीका और लंगर । कच्चे-पक्के दिन - संज्ञा पुं० दो ऋतुओं १३१ कजली की संधि के दिन | कच्चे बच्चे -संज्ञा पुं० बहुत छोटे छोटे बच्चे | बहुत से लड़के वाले । कच्छ - संज्ञा पुं० १. जलप्राय देश । २. कछार । [वि० कच्छो] गुजरात के समीप एक प्रदेश | संज्ञा पुं० धोती की लांग | संज्ञा पुं० कछुना । कच्छप-संज्ञा पुं० [स्त्री० कच्छपी ] छुपी -संज्ञा स्त्री० छुई । कच्छी - वि० १. कच्छ देश का । २. कच्छ देश में उत्पन्न कच्छू । - संज्ञा पुं० कछुवा । कछवाहा- संज्ञा पुं० राजपूतों की एक जाति । कछार - संज्ञा पुं० समुद्र या नदी के किनारे की तर और नीची भूमि । कछु | - वि० दे० "कुछ” । कश्रा - संज्ञा पुं० [स्त्री० कछुई ] एक जल-जंतु जिसके ऊपर बड़ी कड़ी ढाल की तरह खोपड़ी होती है । कछुक - वि० कुछ । कजरा | - संज्ञा पुं० १. दे० " काजल " । २. काली श्रखवाला बैल | कजराई -संज्ञा स्त्री० कालापन । कजरारा- वि० [स्त्री० कजरारो 1 काजलवाला | कजरौटा | -संज्ञा पुं० दे० "क- लोटा" । कजलाना- क्रि० प्र० काला पड़ना । कि० स० जना । कजली - संज्ञा खो० १. कालिख । २. एक प्रकार का गीत जो बरसात में गाया जाता है। 1
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