पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१२

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अंगविक्षेप अंगविक्षेप - संज्ञा पुं० चमकना। मट- कना । अंगविद्या - संज्ञा स्त्री० सामुद्रिक विद्या | अंगशेोष - संज्ञा पुं० एक रोग जिसमें शरीर सूखता है। सुखंडी रोग | अंगसिहरी - संज्ञा स्त्री॰ ज्वर थाने के पहले देह की कँपकँपी। जूड़ी । अंगहार - संज्ञा पुं० नृत्य | नाच | चम- कना | मटकना | अंगहीन - वि० जिसका कोई एक श्रृंग न हो। संज्ञा पुं० कामदेव का एक नाम । अंगांगिभाष-संज्ञा पुं० अंश का संपूर्ण के साथ संबंध | अलंकार में संकर का एक भेद । अंगा- संज्ञा पुं० अँगरखा | चपकन | अंगाकड़ी-संज्ञा स्त्री० अँगारों पर सेंकी हुई मोटी रोटी । लिट्टी | बोटी अंगार-संज्ञा पुं० [सं०] दहकता हुआ कोयला । श्रंगारक संज्ञा पुं० १. श्रंगारा | २. मंगल ग्रह । ३. भृंगराज | ४. कट- सरैया का पेड़ | श्रंगारपुष्प - संज्ञा पुं० इंगुदी वृक्ष | हिँ गोट का पेड़ | अंगारमणि - संज्ञा पुं० मूँगा । श्रंगारघल्ली- संज्ञा स्त्री० गुंजा | धुँधची या चिरमी । श्रंगारा -संज्ञा पुं० दे० "श्रंगार" | अंगारिणी - संज्ञा श्री० १. अँगीठी | बोरसी । घातिशदान । २. ऐसी दिशा जिस पर डूबे हुए सूर्य्य की लाली छाई हो । श्रंगारी - संज्ञा स्त्री० १. छोटा अंगारा | २. चिनगारी ।+ ३. लिट्टी । बाटी । अंगाकड़ी । † ४. बोरसी । अँगुली अँगारी - संज्ञा स्त्री० १. ईख के सिर पर की पत्ती । २, गँड़ेरी। गढ़ी। गन्ने के छोटे कटे टुकड़े | अँगिया - संज्ञा स्त्री० स्त्रियों की चोली | कुरती । कंचुकी । अंगिरस - संज्ञा पुं० १. एक प्राचीन ऋषि जो दस प्रजापतियों में गिने हैं । २. बृहस्पति । ३. कटीला गोंद। अंगिरा - संज्ञा पुं० दे० "अंगिरस" । अंगी- संज्ञा पुं० 1. देहधारी । २. प्रधान मुख्य | ३. चौदह विद्याएँ । अंगीकृत - वि० स्वीकृत । मंजूर । अंगीकार - संज्ञा पुं० स्वीकार | मंजूर | अँगीठा - संज्ञा पुं० बड़ी अँगीठी। बड़ी बोरसी । श्रग रखने का बरतन । अँगीठी- संज्ञा स्त्री० आग रखने का घर- तन । श्रातिशदान । श्रृंगुर - संज्ञा पु० दे० “अंगुल” । अंगुरी | संज्ञा स्त्री० दे० "रँगली” । अंगुल - संज्ञा पुं० आठ जौ की लंबाई । अंगुलि त्राण - संज्ञा पुं० गोह के चमड़े का बना हुआ दस्ताना जिसे बाण चलाते समय रँगलियों में पहनते हैं । अंगुलिपर्व - संज्ञा पुं० उँगलियों की पार । अंगुली - संज्ञा स्त्री० +१. उँगली | २. हाथी के सूँड़ का अगला भाग । अंगुश्तरी - संज्ञा स्त्री० अँगूठी | मुँदरी । अंगुश्ताना - संज्ञा पुं० १. रँगली पर पहिनने की लोहे या पीतल की एक टोपी । २. आरसी । हाथ के अँगूठे की एक प्रकार की मुंदरी । अंगुष्ठ - संज्ञा पुं० हाथ या पैर की सबसे मोटी रँगली । अँगूठा । अँगुसी - संज्ञा स्त्री० १. हल का फाल २. सोनारों की बकनाल या टेढ़ी नली |