पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१०८

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उछलना उछलना- क्रि० प्र० १. वेग से ऊपर उठना और गिरना । २. कूदना । ३. अत्यंत प्रसन्न होना । उच्छुलघाना- क्रि० स० उछलने में प्रवृत्त करना । उछलना- क्रि० स० उछालने में प्रवृत्त करना । उछटना- क्रि० स० उच्चाटना | उदा- सीन करना । विरक्त करना । * क्रि० स० छांटना | चुनना उच्छारना- क्रि० स० लना" । 1 दे० "उछा २. के । वमन । उछाल - संज्ञा स्त्री० १. सहसा ऊपर उठने की क्रिया । ३. पानी का छींटा । उछालना- क्रि० स० ऊपर की ओर फेंकना । उच्छाह - संज्ञा पुं० १. उत्साह । २. उत्सव | ३. जैन लेागों की रथ यात्रा | ४. इच्छा । प्र० 9. उद्दाला - संज्ञा पुं० १. जोश । उबाल । २. वमन । के । उखड़ना- उजड़ना- क्रि० पुखड़ना । २ गिर पड़ जाना । ३. बरबाद होना । उजड़वाना- क्रि० स० किसी को उजा- ढ़ने में प्रवृत्त करना । उजडु - वि० १. वज्र मूर्ख । असभ्य । २. उदंड । उजडुपन - संज्ञा पुं० उद्दंडता । श्रशि- ष्टता । असभ्यता । उजबक - मूर्ख । उजड्डू | उजरत - संज्ञा स्त्री० १. मज़दूरी । २. किराया । उजरना - क्रि० भ० दे० "उजड़ना " | खजराना- क्रि० स० साफ कराना । १०० उजेला कि० भ० सफ़ेद या साफ होना । उजलत-संज्ञा स्त्री० जल्दी | उजलवाना- क्रि० स० गहने या पत्र आदि का साफ़ करवाना | उजला - वि० १. श्वेत । २. स्वच्छ साफ़ । उजागर - वि० १. प्रकाशित । २. प्रसिद्ध । उजाड़-संज्ञा पुं० १. स्थान । जंगल | उजड़ा हुआ २. निर्जन स्थान | ३. वि० १. गिरा पड़ा । २. निर्जन । उजाड़ना- क्रि० स० १. गिराना- पड़ाना । २. नष्ट करना । उजार:- संज्ञा पुं० दे० " उजाड़" । उजारा-मंज्ञा पुं० उजाला । वि० प्रकाशवान् | कांतिमान् । उजालना- क्रि० स० १. चमकाना । निखारना । २. प्रकाशित करना । ३. जनाना । उजाला - संज्ञा पुं० प्रकाश । वि० प्रकाशवान् । उजाली -संज्ञा स्त्री० चांदनी । उजास -संज्ञा पुं० चमक | प्रकाश । उजियर - वि० दे० " उजला" । उजियरिया | संज्ञा स्त्री० दे० "उजाली ” । उजियार - संज्ञा पुं० दे० "उजाला " | उजियारना* - क्रि० स० १. प्रका- शित करना । २. जलाना । उजियारा -संज्ञा पुं० दे० "उजाला " | उजियाला - संज्ञा पुं० दे० " उजाला " । उजीर -संज्ञा पुं० दे० " वज़ीर" । उजेर - संज्ञा पुं० दे० "उजाला" । उजेला - संज्ञा पुं० प्रकाश । चांदनी । रेशनी । वि० प्रकाशवान् ।