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अँकाव
अंगज


कराना। अंदाज़ कराना। परखाना।

अँकाव—संज्ञा पुं॰ [हिं॰ आँकना] कूतने या आँकने का काम। कुताई। अंदाज़।
अंकित—वि॰ [सं॰] १. चिह्नित। निशान किया हुआ। २. लिखित।
अँकुड़ा—संज्ञा पुं॰ लोहे का टेढ़ा काँटा या छड़। गाय-बैल के पेट का दर्द या मरोड़।
अँकुड़ी—संज्ञा स्त्री॰ टेढ़ी कँटिया या छड़।
अँकुड़ीदार—वि॰ जिसमें अँकुड़ी या कँटिया लगी हो। जिसमें अटकाने के लिये हुक लगा हो। हुकदार। संज्ञा पुं॰ एक प्रकार का कृपीदा गड़ारी।
अंकुर—संज्ञा पुं॰ [सं॰] [क्रि॰ अँकुरना, वि॰ अंकुरित] १. अँखुआ। गाभ। अँगुसा। २. डाभ। कल्ला। कनखा। कोपल। आँख। ३. कली। नोक। ४. रुधिर। ५. रोयाँ। ६. जल। ७. मांस के बहुत छोटे लाल दाने जो घाव भरते समय उत्पन्न होते हैं। अंगूर। भराव।
अँकुरना, अँकुराना—क्रि॰ अ॰ अंकुर फोड़ना। जमना।
अंकुरित—वि॰ जिसमें अंकुर हो गया हो।
अंकुश—संज्ञा पुं॰ १. हाथी को हाँकने का दो मुँहा भाला। आँकुस। २. दबाव। रोक।
अंकुशग्रह—संज्ञा पुं॰ [सं॰] महावत। हाथीवान्।
अँकुसी—संज्ञा स्त्री॰ टेढ़ी या झुकी कील जिसमें कोई चीज़ लटकाई या फँसाई जाय। हुक।
अँकोर—संज्ञा पुं॰ १. अंक। गोद। २. भेंट। घूस। रिश्वत। ३. ख़ुराक या कलेवा जो खेत में काम करनेवालों के पास भेजा जाता है।
अँकोरी—संज्ञा स्त्री॰ १. गोद। अंक। २. आलिंगन।
अंकोल—संज्ञा पुं॰ एक पहाड़ी पेड़।
अँखड़ी—संज्ञा स्त्री॰ दे॰ "आँख"।
अँख-मीचनी—संज्ञा स्त्री॰ दे॰ "आँख-मिचौली"।
अँखिया—संज्ञा स्त्री॰ १. हथौड़ी से ठोंक ठोंककर नक्क़ाशी करने की क़लम या ठप्पा। २. दे॰ "आँख"।
अँखुआ—संज्ञा पुं॰ [क्रि॰ अँखुआना] बीज से फूटकर निकली हुई टेढ़ी नोंक जिसमें से पहली पत्तियाँ निकलती हैं। अंकुर। डाभ। कल्ला। कोंपल।
अँखुआना—क्रि॰ अ॰ अंकुर फोड़ना या फेंकना। उगना। जमना।
अंग—संज्ञा पुं॰ १. शरीर। २. भाग। खंड। ३. भेद। प्रकार। उपाय। ४. अनुकूल पक्ष। सहायक। पक्ष का तरफ़दार। ५. बंगाल में भागलपुर के आस-पास का प्रदेश जिसकी राजधानी चंपापुरी थी। ६. एक संबोधन। प्रिय। ७. छः की संख्या ८. नाटक में प्रधान रस। ९. सेना के चार विभाग; यथा—हाथी, घोड़े, रथ और पैदल। योग के आाठ विधान। १०. राजनीति के सात अंग। वि॰ अप्रधान। उलटा।
अंगज—वि॰ शरीर से उत्पन्न। संज्ञा पुं॰ १. पुत्र। बेटा। लड़का। २. पसीना। बाल। केश। रोम। ३. काम, क्रोध आदि विकार। ४. साहित्य में कायिक अनुभाव। ५. कामदेव। मद। ६. रोग।