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बाण भट्ट की आत्म-कथा

बाण भट्ट की अरिम-कथा णिका की सखी का नेपथ्य उसे ही देकर मैं एक नातिदीर्घ शिरीष- वृक्ष पर चढ़ गया और बाहर आकर राजमार्ग पर खड़ा हो गया । नाग उस समय उनींदा था। मैं दूर वड़ा प्रतीक्षा करने लगा। उस समय चन्द्रमा मध्य प्रकाश में आ गया था, ऐसा जान पड़ता था कि वह शुक्ल वसनधारिणी धरित्री के ललाट का चन्दन तिलक है। क्या आज धरित्री ने भी अपने उद्धारकर्ता महावराह की पूजा की है ?