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बाण भट्ट की आत्म-कथा

बाण भट्ट की अाम-कथा में न डूब जाय, कौन है जो इसके भीमवेग में न बह जाय-यई है। आर्यावर्त के तरुणों की दुरंगम वाहिनी ।। | अमृत के पुत्री, कुलबधुओं का सुहाग तुम्हारे हाथ में हैं, बालिकाओं की लाज तुम्हारे हाथ में हैं, वृद्धों का मान तुम्हारे हाथ में है—यह है आर्यावर्त के तरुण की दुरंगम वाहिनी । | एक बार फिर महामाया माता की जय-ध्वनि हुई और भैरवियाँ चुपचाप चली गईं। अभीर सेना ने अपने आप जथ-ध्वनि करते हुए कहा–'म्लेच्छवाहिनी इस देश की काया भी न छू सकेगी । मेरे रक्त में एक विचित्र अालोड़न हुआ | आर्यावर्त के नौजवानों के ऊपर एक अपूर्व विश्वास से वक्षःस्थले स्फीत हो उठा | रणचंडिका विकट नृत्य करनेवाली हैं पर आर्यावर्त का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा। महामाया की इन शिष्याओं ने आर्यावर्त को महानाश से उद्धार करने का रास्ता दिखा दिया है। नारी के कोमल कंठ में कैसी अद्भुत शक्ति है, यह ओजपूर्ण संगीत भी इस कोमल कंठ से निकल कर सौ गुना प्रभावोत्पादक हो गया है । जब उनका कोमल कंठ ईयत्कम्पित होकर पुकारता था---'जवानो, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं। तो ऐसा लगता था जैसे वायु-मण्डल का प्रत्येक स्तर काँप उठा है, आकाश का कोना-कोना गुजरित हो उठा है, दिगन्तराल का प्रत्येक विंदु उच्छलित हो गया है और फिर भी कहीं भय का लेश नहीं है। यावत का नौजवान आज कृतार्थ है, देवमन्दिर और शस्यक्षेत्र निरापद हैं, स्त्रियाँ ऋौर बालक आश्वस्त हैं--अाज जगत् का अशेष तारुण्य आलोड़ित हो गया है। | भट्टिनी ने अाग्रहपूर्वक भैरवियों के गान का सारा मर्म सुना । वे थोड़ी देर तक कुछ भूली हुई-सी बात में उलझी दिखीं। मुझे ऐसा लगा कि उन्हें महामाया के गान के उस अंश से कुछ कष्ट हुअा है। जिसमें देवपुत्र की चर्चा है। मैंने भट्टिनी की चिन्ता दूर करने के