बगुला के पंख १७५ तोड़ के आदमी थे। कोयले का कारोबार करते थे। एक बैण्ड बाजा भी उनका ब्याह-शादी के मौके पर किराये पर चलता था। हर सार्वजनिक काम में वे सबसे आगे रहते थे। अनेकों विधवाश्रमों, अनाथालयों के आनरेरी सैक्रेटरी रह चुके थे । हरफनमौला और आठोंगांठ कुम्मत खुर्राट आदमी थे। बिरादरी की पंचायत में सबसे आगे बोलते थे। और सार्वजनिक चन्दा बटोरने में दक्ष रामलीला का आयोजन करने, मेले-ठेलों में स्वयंसेवकदल ले जाकर प्रबन्ध करने में खूब दिलचस्पी लेते थे। उन सब कामों के कारण वे लोकप्रिय भी बन गए थे और मुट्ठी भी गर्म रखते थे। जोगीराम ने लाला फकीरचन्द को पटाया। उन्होंने बड़े तड़के ही उनके घर आकर कहा- 'पालियामैंट के चुनाव हो रहे हैं जीजाजी, आपको जनसंघ की ओर से खड़ा होना पड़ेगा।' लाला फकीरचन्द भीतर से तो खुश हो गए, पर प्रकट में बोले, 'ना भई, म्युनिसिपैलिटी के चुनाव में करारी चपत पड़ चुकी है। अब मैं इस झंझट में नहीं पड़ने का। "वाह, यह म्युनिसिपैलिटी नहीं है । पार्लियामैंट है लालाजी, पालियामैंट । इसका मैम्बर मिनिस्टर बन सकता है।' लाला फकीरचन्द अविश्वास की हंसी हंसकर बोले, 'मेरे अन्दर मिनिस्टर होने की योग्यता है ?' 'अपनी योग्यता आप नहीं जानते जीजाजी। फिर, मिनिस्टर होने के लिए किसी योग्यता की ज़रूरत ही नहीं है। सिर्फ पैसा और सहारा चाहिए । सो भगवान की दया से किसी बात की कमी नहीं है। कमाया किस दिन के लिए जाता है ? जनसंघ आपकी पीठ पर है ही।' 'भैया, तुम लीडर लोग हो ; तुम्हीं यह सब खटपट करो। तुम खुद खड़े क्यों नहीं होते ?' 'खटपट तो सब हमीं करेंगे। पर खड़ा होना आपको पड़ेगा । और आपका मुकाबिला होगा मुंशी जगनपरसाद से, जिन्होंने म्युनिसिपैलिटी के मामलों में आपको नीचा दिखाया था। अब उसका बदला लेने का यही समय है ।' 'नामर्द मुंशी से मेरी नस दबी हुई है, उससे हज़ार काम सरते हैं। मैं
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